सुलझाए
गए भूमि विवाद, शादी
और तलाक के डेढ़ हजार मामले
सैयद
शहरोज़ क़मर की क़लम से
रांची लेक रोड से जब देर रात आपका हिंदपीढ़ी की गली नंबर दो में गुजर हो, तो आधे सफर बाद आपको अक्सर भीड़ दिखाई दे जाएगी। जिसमें कोई वकील की तरह जिरह कर रहा होगा, तो बाकी लोग चुपचाप उसकी बातों पर गौर करने में तल्लीन। तभी दूसरा पक्ष कागजातों का पुलिंदा मेज पर फैला देता है। दरअसल यह पठान तंजीम का कार्यालय है। जहां शहर के लोग भूमि विवाद, शादी और तलाक के मामले लेकर इंसाफ की आस में पहुंचते हैं। यहां वैसे ही मामले सुलझाए जाते हैं, जिनमें केस थाना-पुलिस में दर्ज नहीं हो पाते या करवाए जाते हैं। कभी एक से दो घंटे, तो कभी कई दिनों तक पक्ष-विपक्ष पंचों के साथ बैठकें करते हैं। बहस-मुबाहिसे और कागजातों को देखने के बाद निर्णय सुनाया जाता है, जिसे दोनों पक्ष सहर्ष मंजूर करते हैं। शहर के बीच लगती इस पंचायत ने बारह वर्षों में डेढ़ हजार से अधिक मामले सुलझाए हैं। तंजीम की स्थापना 2003 के क्रिसमस के दिन इस संकल्प के साथ की गई थी कि हजरत ईसा मसीह के अमर वचन "न बुरा, देखो, न बुरा बोलो और न बुरा सोचो" पर अमल करते हुए समाज के उन पीड़ितों की मदद की जाएगी, जिनके पास कोर्ट-कचहरी के लिए पैसे नहीं होते। वहीं जो पंच परमेश्वर की परंपरा पर विश्वास करते हों।
मरहूम
अधिवक्ता महमूदुल हसन,
मो. रिजवान
खान, सलीम
इब्राहिम, नसीम
खान आदि की मेहनत ने असर दिखाना
शुरू किया, तो
उनके जज्बे को परवान चढ़ाने
युवाओं की कतार लग गई। अभी मो.
शुएब खान राजू
(अध्यक्ष),
मो. शहजाद
बबलू (सचिव),
मो. नसीम
(कोषाध्यक्ष)
की अगुवाई में
अनवर खान, मो.
अनवर,
नसीरउद्दीन,
शाहिद जमाल
और अलीम खान जैसे जुझारू हजारों
लोग शांति, सद्भाव
और शिक्षा जागरूकता के
प्रचार-प्रसार
में लगे हैं। ये लोग सरहुल,
दशहरा,
मुहर्रम,
ईद मिलादुन्नबी
और छठ के मौके पर चना,
शर्बत और फलों
का वितरण करते ही हैं। स्कॉलरशिप
कैंप, मतदाता
जगारूकता और नरेगा जागरूकता
शिविर भी शहर से लेकर गांवों
तक लगाते हैं। वंचितों के बीच
रिक्शा, नि:शक्तों
को ट्राई साइकिल देने और गरीब
बेटियों की शादी में भी आर्थिक
मदद करने में नहीं हिचकते।
केस-1 शंकर
और फजल हुए एक
बंशी
चौक स्थित श्रीशंकर और फजल
बरसों से पड़ोसी हैं। उनके
बीच के प्रेम और सद्भाव को
थोड़ी सी जमीन अक्सर दरार डाल
देती थी। एक पक्ष का आरोप था
कि उसकी जमीन दूसरे पक्ष के
कब्जे में है। चूंकि दोनों
अच्छे पड़ोसी हैं, इसलिए
कोर्ट-कचहरी
जाना नहीं चाहते थे। मामला
तंजीम के पास पहुंचा। दोनों
पक्षों की बात सुनी गई। अमीन
बुलवाकर जमीन की नाप-जोख
हुई कागजात के मुताबिक। निर्णय
हुआ, जिसे
दोनों पक्षों ने माना।
केस-2
दोनों परिवार
को मिला रास्ता
मो.
इज्हार और
जमीला बेगम के घर और जमीन के
बीच आने-जाने
के मार्ग को लेकर विवाद चला
आ रहा था। प्राय: इनमें
वाद-विवाद
होता रहता। कुछ लोगों ने इन्हें
मोहल्ले की बात मोहल्ले में
ही सुलझा लेने की सलाह दी।
इसके बाद दोनों परिवार ने
अलग-अलग
घरों के बड़ों से राय-मश्विरा
किया। अंत में तंजीम के पास
ये पहुंचे। वकील और बुद्धिजीवी
की टीम की रिपोर्ट के बाद दोनों
पक्षों की बात सुनी गई। आखिर
दोनों की सहमति से दोनों को
रास्ता मिल गया।
केस-3
लड़की को मिला
60 हजार
हर्जाना
शाहीन
और रमजान (नाम
बदले हुए) ने
प्रेम विवाह किया था। लेकिन
उनमें बहुत दिनों तक प्रेम
बचा नहीं रही। किसी न किसी
बहाने इनके बीच खटपट होने लगी।
एक दिन लड़की थाना पहुंच गई
कि उसे सुसराल में जलाने का
प्रयास किया गया। बिना केस
दर्ज कराए लोगों के हस्तक्षेप
से लड़की वापस तो आ गई,
पर मायके चली
गई। तंजीम की पंचायत में दोनों
ने अलग रहने का निर्णय किया।
लड़की को 60 हजार
रुपए हर्जाना दिलवाया गया।
इसमें आधे पैसे तंजीम ने दिए।
दैनिक
भास्कर रांची के 17 दिसंबर
2015 के अंक
में प्रकाशित
1 comments: on "शहर के बीच 22 सालों से लग रही पंचायत"
qaabeli tarif hai
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- अल्लामा जमील मज़हरी