
धीरेन्द्र सिंह की क़लम से
1.
उम्र भर बस यही इक उदासी रही
आपके दीद को आँख प्यासी रही
तुम गये बाद जाने के बस दो यही
बेक़रारी रही, बदहवासी रही
याद करने से क्या कोई आये भला?
एक उम्मीद थी जो ज़रा सी रही
मिस्ले- नामा- ए-...
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कुडुख में बनाई पहली फीचर फिल्म पेनाल्टी कार्नर
जब आप अपने परिवार और पुरखों के बारे में बात करते हैं, तो असल में आप पृथ्वी के सारे इंसानों के बारे में बात कर रहे होते हैं। ऐसा विश्वप्रसिद्ध उपन्यास ‘रूट्स’ के आदिवासी लेखक एलेक्स...
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अजित कुमार सिन्हा की कविताएं
याद
हवा के झोंके की तरह
तुम आये मेरे जीवन में
कर दिया खुशबू से सराबोर मुझे
उड़ा दिया हिचकिचाहट के परदे को
हवा के झोंके की तरह
बस गयी तुम्हारी महक साँसों में
स्पर्श से तुम्हारे थरथराता रहा जिस्म
छेड़ते...
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तकिया और बस के सिवा कौन है उसका साथी
प्रीति सिंह की क़लम से
सुबह
का धुंधलका. रात
की कालिमा को परे धकेलते हुए
सूरज की हल्की-हल्की
रोशनी बिखरने को तैयार थी. चिड़ियों
का झुंड शोर मचाते हुए दाने
की तलाश में निकल पड़ा हो. ओस
की...
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टूटने का मर्म
यक़ीनन जब भी कुछ टूटता है
हमारे अंदर
सबसे पहले यक़ीन टूटता है
खुद का का, खुद से
विश्वास करना मुश्किल हो जाता है
स्वयं पर, स्वयं से
महज़ एक बार टूटने के बाद से ही
हमारा अनुभव...
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संजय शेफर्ड का आत्मकथ्य लेखन
और पाठन का सफ़र जीवन में काफी देर से जुड़ा, लेकिन घुम्मकड़ी की प्रवृति
मुझमें जन्म के साथ ही मौजूद थी। उस समय जब लोगों का वक़्त लोगों की अंगुली
पकड़कर उम्र के साथ- साथ चलता है। मेरे वक़्त ने मेरी उम्र...
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रजनी त्यागी की कविताएं
तुम्हारी सदाशयता पर शक नहीं
तुमने कहा, सुरक्षा
लड़की ने सुना, क़ैद
क्या सचमुच तुमने सुरक्षा कहा
या सचमुच तुमने क़ैद कहा था
नहीं ! तुम्हारी सदाशयता पर शक ठीक नहीं
क्योंकि तुमने लड़की को धन भी कहा था
और वो भी पराया
फिर...
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कानून पीड़िता को सुरक्षा कम देता है, डराता है अधिक
फ़रहाना रियाज़ की क़लम से
टीवी चैनल्स और अखबारों पर नज़र डाली जाये तो आधे से ज़्यादा स्पेस महिला शोषण और अत्याचारों से भरे पड़े हैं | महिलाओं के साथ हो रहे इन हादसों को...
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मृदुला शुक्ला की कविताएंपिताचौतरफा दीवारें थीभीतर घुप्प अँधेराएक खिड़की खुलीकुछ हवा आईढेर सारी रौशनीतुम चौखट हो गएआधे दीवार में धंसे सेआधे कब्जों में कसे सेये जो उजाला है नाखिडकियों के नाम हैचौखट तो अब भीडटी है दीवारों के सामनेअंधेरों...
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शायक आलोक की कविताएं
1.
एक पेड़ जो बूढा हो गया है
आँधियों में जिसके उखड़ जाने का खतरा है
जो हवाओं में चिंयारता है काठ कठोर आवाज़ में
उस पेड़ के लिए लिखता हूँ मैं कविता
मेरी चिड़िया बेटी
गुनगुनाती है उसे.
2.
विचारधारा को तुमने खून की...
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