बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

मंगलवार, 1 जुलाई 2014

फ़ारसी न ही अरबी, कहाँ से आया नमाज़ शब्द

संस्कृत शब्द है नमाज़















शहरोज़ की क़लम से

इन दिनों रमज़ान या रमादान को लेकर चर्चा ख़ूब है. जबकि इसमें महज़ उच्चारण का फ़र्क़ है. शब्द एक ही है. दरसअल अरबी में इसे रमादान कहते हैं और उर्दू में रमज़ान। ऐसा इसलिए है कि फ़ारसी या अरबी लिपि में लिखे गए इस शब्द में एक अक्षर 'ज़्वाद' आता है. इसकी ध्वनि अंग्रेजी के ज़ेड या डी+एच की होती है. भारतीत उपमहाद्वीप में ज़ेड और अरब में डी+एच की तरह इसका तलफ़्फ़ुज़ होता रहा है. ख़ैर! मैंने जब डॉ तारीक़ अब्दुल्लाह से कुछ वर्षों पहले सुना कि नमाज़ ठेठ संस्कृत शब्द है, तो मेरा चौंकना लाज़िम था.
ढेरों मुल्ला उठ खड़े हो सकते हैं कि मैं क्या बकवास कर रहा हूँ.  लेकिन जनाब सच से कब तक मुंह चुराएँगे। 

अरबी में नमाज़ के लिए सलात या सलाः का इस्तेमाल होता है. कुर'आन में भी यही शब्द आया है.क्योंकि जब किसी मस्जिद में मुआज्ज़िन अज़ान पुकार रहा होता है तो कहता है: हय्या अलस्स  सलात!  यानी आओ नमाज़ की तरफ! आओ दुआ, प्रार्थना, उपासना, पूजा की ओर. इस्लाम के जानकारों यानी आलिमों, धार्मिक विद्वानों  से जब पूछा गया कि नमाज़ शब्द कहाँ से आया? उन्होंने बताया कि यह फ़ारसी का शब्द हो सकता है. लेकिन जब फ़ारसी की तरफ निगाह दौड़ाई तो जानकार हैरत हुई कि वहाँ इस शब्द का मूल ही नहीं है.यानी जिस तरह संस्कृत में हर शब्द की एक मूल धातु होती है, ऐसा ही फ़ारसी या अरबी में होती है. फ़ारसी में मूल को मसदर कहते हैं. अगर मान  लें कि नमाज़ का मसदर नम हो तो नम का अर्थ होता है गीला या भीगा हुआ. आपने मुहावरा सुना होगा नम आँखें. वहीं अंतिम में जुड़े अज़ का अर्थ से होता है।  इस तरह ज़ाहिर है नमाज़ का अर्थ नहीं निकलता.

विश्व की एक मात्र भाषा है संस्कृत जहां से नमाज़ का अर्थ निकलता है. नम संस्कृत में सर झुकाने को कहते हैं. जबकि अज का अर्थ है अजन्मा यानी जिसने दूसरे को जन्म दिया किन्तु स्वयं अजन्मा है. इस प्रकार नम+अज के संधि से नमाज बना जिसका अर्थ हुआ अजन्मे को नमन. इस तरह इस शब्द की उत्पत्ति हुई. बाद में यह इरान जाकर फ़ारसी में नमाज़ हो गया.

ध्यान रहे कि इस्लाम का परिचय भारत में पैगम्बर हज़रत मोहम्मद के जीवनकाल में ही हो गया था.अरब के मुस्लिम कारोबारियों का दक्षिण भारत में आना-जाना शुरू हो गया था.जबकि इरान में इस्लाम बहुत बाद में ख़लीफ़ा उमर के समय पहुंचा था.
भारत के शुरुआती  नव-मुस्लिमों ने सलात को नमाज कहना शुरू कर दिया .यह सातवीं सदी का समय है. भारत यानी तब के अखंड भारत से मेरा आशय है. क्योंकि सिर्फ पाकिस्तान, बँगला देश, नेपाल या श्रीलंका में ही इस शब्द का चलन नहीं है. बल्कि पश्चिम में अफगानिस्तान, इरान, मध्य एशियाई मुल्कों तज़ाकिस्तान. कज़ाकिस्तान आदि और पूर्व में म्यांमार , इंडोनेशिया,मलेशिया,थाईलैंड और कोरिया वगैरह  में भी सलात की बजाय नमाज़ का प्रचलन है.
इन सभी देशों का सम्बन्ध भारत से होना बताया जाता है. इस प्रकार नमाज़ से भी अखंड भारत का प्रमाण साबित हो जाता है.

यहाँ भी पढ़ें


Digg Google Bookmarks reddit Mixx StumbleUpon Technorati Yahoo! Buzz DesignFloat Delicious BlinkList Furl

3 comments: on "फ़ारसी न ही अरबी, कहाँ से आया नमाज़ शब्द "

anwar suhail ने कहा…

बेशक, शायद इसीलिए दक्षिण भारत के मुस्लमान नमाज़ शब्द नही बोलते...वे इसकी जगह सला: या सलात शब्द का इस्तेमाल करते हैं....

रूपसिंह चन्देल ने कहा…

इस जानकारी के लिए धन्यवाद शहरोज़.

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ने कहा…

बहुत महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद।

एक टिप्पणी भेजें

रचना की न केवल प्रशंसा हो बल्कि कमियों की ओर भी ध्यान दिलाना आपका परम कर्तव्य है : यानी आप इस शे'र का साकार रूप हों.

न स्याही के हैं दुश्मन, न सफ़ेदी के हैं दोस्त
हमको आइना दिखाना है, दिखा देते हैं.
- अल्लामा जमील मज़हरी

(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)