
फ़राह शकेब की क़लम से
अपने ही देश में और अपनी ही मातृभूमि पर अजनबी और बेगानों की तरह रहने की तकलीफ आप शायद तब तक नहीं समझ सकते जब तक स्वयं आप दर्द की उन गलियों से गुज़रे न हों. अगर इस दर्द का जीवंत रूप देखना हो तो फ़िलस्तीन की तरफ एक...
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नई पौध
सरोध्या यादव की क़लम से
काश ये दुनिया मेरा कैनवास होतामैं एक पेन्टर हूँअपनी कल्पना को कैनवास पर उतारती हूँमन के भाव कुछ टेढ़ी-मेढ़ी लाइनों और रंगो सेकोरे कागज़ पर सपना सवारती हूँकाश ये दुनिया मेरा कैनवास होतामेरा ब्रश उसमें भी...
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झारखंड के सिंहभूम में फुटबॉल की बन सकती है नर्सरी
फोटो: मुन्ना झा
मुन्ना कुमार झा की क़लम से
जोगो उन बेशकीमती प्रतिभावान बच्चों में से है, जो गरीबी की मार झेलते हुए भी फुटबॉल दम लगा कर खेलता है। बिना किसी जूते के नंगे...
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तुम मेरा कुछ भी न बिगाड़ पाओगे
फोटो गूगल साभार
शहरोज़ की क़लम से
मेरे
बच्चों को तपती भट्ठियों में डाल दिया गया. उसकी मुस्कान अचानक चीखों में
बदल जाती हैं, मैं चलते-चलते रुक जाता हूँ. मेरी बेटियों और बहनों...
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सईद अय्यूब की कहानी
मैं उनकी हरकतें देखकर दरवाजे पर ही ठिठक कर रुक गया था. कमरे में कोई कश्मीरी लोक गीत गूँज रहा था जिसके बोल समझना मेरे लिए मुश्किल था. पर गायिका शमीमा आज़ाद की आवाज़ मैं पहचान सकता था, जो इतनी मधुर थी कि किसी कबाड़ से...
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अनवर सुहैल की कविताएं एक
------मुझेगाली और गोली सेलगता नहीं डरक्योंकिमेरे पास हैएक क़लम एक सोचएक स्वप्नएक उम्मीदऔर लाखों-लाख लोगों केख़ामोश लब की सदाएं ....तुम्हारीगालियाँ और गोलियांमेरा कुछ भी बिगाड़ नही सकतीं....दो----जुर्म हैखून...
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संस्कृत शब्द है नमाज़
शहरोज़ की क़लम से इन
दिनों रमज़ान या रमादान को लेकर चर्चा ख़ूब है. जबकि इसमें महज़ उच्चारण का
फ़र्क़ है. शब्द एक ही है. दरसअल अरबी में इसे रमादान कहते हैं और उर्दू
में रमज़ान। ऐसा इसलिए है कि फ़ारसी या अरबी लिपि में...
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