बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

सोमवार, 30 जून 2014

तुमने बदले हम से गिन-गिन के लिए

दो शाइर और एक ग़ज़ल  रजनीश ‘साहिल’ की क़लम से "दो जुदा शाइरों की अलग-अलग ग़ज़लों से शेर चुनकर बनी एक तीसरी मुकम्मल ग़ज़ल", अगर कोई ऐसा कहे तो क्या आप क्या कहेंगे? थोड़ा अटपटा लगता है सुनने में, पर जो है, सो है. यह सुनकर शायद और अटपटा लगे...
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रविवार, 29 जून 2014

हिंदी साहित्य में कहाँ हैं मुसलमान

संदर्भ मुस्लिम परिवेश और हिंदी उपन्‍यास सुनील यादव की क़लम से मुस्लिम परिवेश और हिंदी उपन्‍यास पर बात करने से पहले साहित्य और समाज विशेषकर उपन्यास और समाज और रिश्ते की पड़ताल इसलिए जरूरी हो जाती है कि ''साहित्‍य की जड़ें समाज में होती हैं...
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बुधवार, 25 जून 2014

इस्लाम में कंडोम !

शहरोज़ की क़लम से  चौंकिए मत ! मुझे कह लेने दीजिये कि इस्लाम परिवार कल्याण की अनुमति देता है.यानी कंडोम का इस्तेमाल इस सिलसिले में प्रतिबंधित नहीं है.पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद के समय अज़्ल की खूब परम्परा रही है.यह अज़्ल कंडोम का ही...
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सोमवार, 23 जून 2014

तीन तलाक़ कितना हलाल

शहरोज़ की क़लम से   तलाक़ दे तो रहे हो, ग़ुरूर-व-क़हर के साथमेरा शबाब भी लौटा दो, मेरे मेहर के साथ. तलाक़ को लेकर भोपाल रियासत के नवाब ख़ानदान की एक अनाम विदुषी शायरा का यह शेर बहुत मक़बूल है. हालाँकि कुछ लोग मीना कुमारी को रचयिता मानते...
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बुधवार, 18 जून 2014

डुबोया होने ने, न होता तो क्या होता

  गुंजेश की कविताएं1.तुम जवाब मत दोमैं सवाल भी नहीं करूंगामेरा और तुम्हारा रिश्ताबादल और धूप का होलोग, एक की उपस्थिती मेंदूसरे को चाहें2.अरसा हो गयातुमसे मिले हुएअब तो तुम्हें याद भी नहीं होगा किआखरी दिन मैंने शेव किया था या नहींआखरी...
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रविवार, 15 जून 2014

महिलाओं ने रचा केरल का इतिहास

विकास का मॉडल कुदुंबश्री   मनोरमा सिंह क़लम से  तरक्की और विकास की पहली शर्त है लोगों का जागरूक और शिक्षित होना, केरल की साक्षरता दर भारत के सभी राज्यों में सबसे अधिक रही है और यही वजह है कि यह भारत के सबसे विकसित...
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बुधवार, 11 जून 2014

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है: बिस्मिल अज़ीमाबादी

  سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے دیکھنا ہے زور کتنا بازو ے قاتل میں ہے सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैदेखना है ज़ोर कितना बाज़ू -ए-क़ातिल में है। Sarfaroshi ki Tamanna Ab Hamare Dil Me Hai Dekhna Hai Zor Kitna Bazu-E-Qatil...
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रविवार, 8 जून 2014

रास्ता बनाती हुई रोशनी

  जसिंता केरकेट्टा की कविताएं नदी और लाल पानीकोका-कोला बनाकरतुमने उसे ''ठंडा का मतलब'' बतायातो अब दुनियां को भी बताओसारंडा के नदी-नालों में बहतेलाल पानी का मतलब क्या है?नदी के तट पर चुंआ बनाकर, पानीछानते-छानते थक चुकी जुंबईबुरू कीसुकुरमुनी...
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सोमवार, 2 जून 2014

कविता का कुलदीप, ग़ज़ल की अंजुम

चार कविता : चार ग़ज़ल   अकेले में बहुत चीखा किये है ! समंदर रात में रोया किये है !!                             कुलदीप अंजुम की क़लम से गुनाहगार तो मैं भी...
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