राम-रहीम
नाम के कथित बाबाओं को दे रहे
जवाब
शहरोज़ की क़लम से
कभी उलिहातू गांव के बिरसा मुंडा ने अबुआ दिशुम अबुआ राज के लिए उलगुलान किया था। वो 19वीं सदी के आखिरी वर्षों की घटना है। अब 21 वीं सदी में उलिहातू के पास के जोरको गांव की लड़की माकी मुंडा नया उलगुलान कर रही है। प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय, अड़की में नवीं क्लास की यह छात्रा फिल्म सोनचांद में नायिका है। इसने न कभी कैमरा का सामना किया, न ही कभी मुंबई ही गई। लेकिन फिल्म में आदिवासी धाविका की केंद्रीय भूमिका उसे बहुत रास आ रही है। दरअसल उसके उत्साह की वजह है, कि पहली बार आदिवासी ही आदिवासियों के लिए आदिवासियों पर फिल्म बना रहे हैं। जिन्होंने कभी अभिनय नहीं किया है, इसमें प्रमुख किरदारों को जी रहे हैं। पेशे से चालक तिर्की बैठा उर्फ फुचो दा एक ऐसे ही अहम कलाकार हैं। इसके अलावा और भी कई नाम हैं, जिनकी पर्दे पर आने की हसरत पूरी होने जा रही है। नये लोगों में अधिकतर गुनतुरा गांव के लोग हैं। इनमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। वे खुश भी इसलिए हैं कि उनके ही गांवों में, उनकी ही भाषा-बोली में फिल्म बन रही है। बिर बुरु ओम्पाय मीडिया एंड इंटरटेनमेंट के बैनर तले फिलहाल खूंटी के अड़की प्रखंड के विभिन्न स्थानों पर इसकी शूटिंग चल रही है।
10
जिलों
के आदिवासी कलाकार
फिल्म
एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट,
पूणे के
ग्रेजुएट व निर्देशक रंजीतउरांव ने बताया कि राज्य के
करीब 10
जिलों
के आदिवासी कलाकारों को फिल्म
में मौका मिला है। इसमें मार्शल
बारला,
रीमा
ठाकुर,
प्रकाश
मसीह सोय और राजन कुजूर (खूंटी),
आभा
मांझियान,
अंजित
अरमान,
बैजंती
सरदार,
छवि दास,
गणेश
ठाकुर हांसदा ,
जीतराई
हांसदा,
मानु
मुर्मू,
नरसिंह
टुडू,
फुलमनी
सोरेन,
पोरान
हांसदा,
राहुल
सिंह तोमर,
रितेश
टुडू,
टीकाराम
हांसदा,
विमल भंज
और विनोद मांझी (जमशेदपुर),
रवि लकड़ा,
शैलजा
बाला,
संदीप
कुमार,
सुदीप
केरकेट्टा,
सुशील
केरकेट्टा (रांची),
तिलक
सिंह मुंडा,
राकेश
गाड़ी (बोकारो),
शीतल
बागे,
विमल भंज
(चाईबासा),
कुमेश
कुमार मंडल,
सागर
कुमार,
कुमार
अश्विनी,
सबीना
(धनबाद),
ब्रजेश
उरांव (गुमला),
पवन कुमार
(लोहरदगा),
लखीचरन
सिंह मुंडा (सरायकेला
खरसावां)
और तारकेलेंग
कुल्लू व पुरुषोत्तम कुमार
(सिमडेगा)
शामिल
हैं।
टेक्निकल
टीम में भी आदिवासी
मुंडारी
के साहित्यकार जोवाकिम तोपनो
व उनकी पत्नी मरियम तोपनो,
हिंदी
व संताली के लेखक शिशिर टुडू
भी फिल्म में भूमिकाएं कर रहे
हैं। जबकि मानु मुर्मू,
एस मृदुला,
शीतल
बागे,
सुनील
हांसदा,
रितेश
टुडू और जीतराय हांसदा जैसे
रंगकर्मी भी फिल्म में नजर
आएंगे। फिल्म की टेक्निकल
टीम में भी आदिवासी शामिल हैं।
कैमरा यूनिट में रांची के
प्रवीण होरो,
सुरेंद्र
कुजूर हैं तो साउंड रिकॉर्डिंग
का जिम्मा सत्यजीत रे फिल्म
इंस्टीट्यूट के मंजुल टोप्पो
और जेवियर मॉस कम्युनिकेशन
के बसंत अभिषेक बिलुंग व विकास
पर है। महेश मांझी तकनीकी को
ऑर्डिनेशन संभाल रहे हैं।
सरहुल
तक प्रदर्शित होगी सोनचांद
निर्माता
वंदना टेटे ने बताया कि शूटिंग
40
दिनों
तक चलेगी। सरहुल तक फिल्म
प्रदर्शित करने की योजना है।
उन्होंने कहा,
हमारे
पास एक समृद्धशाली कला परंपरा
है। हमारे लोग नैसर्गिक रूप
से नृत्य,
गीत और
संगीत में पारंगत होते हैं।
परंतु सिनेमा में आज तक झारखंडी
लोगों को अवसर नहीं मिला।
सोनचांद में 80
फीसदी
कलाकार आदिवासी हैं। फिल्म
समुदाय के सहयोग से बन रही है।
छह सितंबर से दूसरे शेड्यूल
की शूटिंग शुरू हुई है। इसमें
बड़ी संख्या झारखंड के लोगों
की है ही,
बाहर के
भी कुछ चुनिंदा कलाकार एक्टिंग
कर रहे हैं। रांची व इसके आसपास
में फिल्मांकन के बाद आजकल
यूनिट खूंटी के अड़की प्रखंड
के गांवों में है। रांची के
मशहूर रंगकर्मी अशोक पागल की
भी इसमें बड़ी दमदार भूमिका
है। फिल्म की टेक्निकल टीम
में फिल्म इंस्टीच्यूट,
पुणे से
प्रशिक्षित नीरज समद,
कोलकाता
के राजकुमार के अलावा मुंबई
से पहुंचे कैमरामैन कृष्णदेव
भी हैं।
दैनिक
भास्कर,
रांची
के 22
सितंबर
2015
के अंक
में प्रकाशित
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