कथित
रूप से विस्फोटक के साथ पकड़े
गए
इंतजार अली को जमानत मिलने
के बाद
फोटो-
रमीज़
|
सैयद
शहरोज़ क़मर की क़लम से
यातना
भरी 55 लंबी
रातों के बाद लौटा उम्मीद का
सूरज गुरुवार को हिंदपीढ़ी,
निजाम नगर की
अमन गली में उतरा, तो
उससे सराबोर होने को महिलाएं,
बूढ़े,
बच्चे और जवान
बेताब रहे। इसकी चमक से इंतजार
अली के आंगन की उनिंदा आंखें
सबसे अधिक आश्वस्त दिखीं।
उन्हें अदालत पर यकीन पुख्ता
था कि उनके घर का इकलौता कमाऊ
सदस्य जरूर आएगा। लेकिन 20
अगस्त की शाम
से शुरू पुलिसिया जुल्म की
किस्त-दर-किस्त
उन्हें हर रात सोते से जगाती
रही। पलकें झुकाए जब इंतजार
की पत्नी रिहाना खातून ने
दरवाजा खोला, तो
उन्होंने सबसे पहले मीडिया
पर अपना बुखार उतारा। उसके
बाद पुलिस बर्बरता के किस्से
खामोशी से सुनाती रहीं। बोलीं,
उस दिन यानी
20 अगस्त
को जब चार बजे से उनके पति ने
मोबाइल नहीं उठाया, तो
वे परेशान हो गईं। शाम में
वर्दी व सादे लिबास में पुलिस
आ धमकी। बिना कुछ बताए घर का
सामान तितर-बितर
करने लगी। पुलिस के साथ आए
सिविल ड्रेस के एक व्यक्ति
अचानक डांटने-डपटने
लगे। जब 12 साल
की बड़ी बेटी ने कहा, अंकल
अम्मी को क्यों डांट रहे हैं,
तो वह व्यक्ति
बोला, तुम
जिंदगी भर पछताओगी, टीवी
पर रोज पापा के बारे में सुनना
कि वह आतंकवादी है।
इतना
कहकर रिहाना बिलखने लगीं।
पास बैठीं इंतजार की बहन शकीला
बोल पड़ीं, बताईये
मासूम से बच्चों पर क्या असर
पड़ा होगा। पुलिस जाते-जाते
कह गई, इंतजार
बम के साथ पकड़ा गया है। रिहाना
के गालों पर लुढ़क आया आंसू
आंखों में लौट आक्रोश बना।
बोलीं, अब
अदालत ने बेल दे दी, इंशा
अल्लाह केस भी खत्म हो जाएगा।
लेकिन कौन लौटाएगा पल-पल
घुटती सांसों के वे 56 दिन
जिसने छोटकी की खोई मुस्कान
छीन ली। किसने आखिर साजिश रच
उसके पापा को जेल की सलाखों
में कैद कर दिया। जिसे नींद
ही पापा के पेट पर आती थी। पापा
के न रहने पर हर दो दिन बाद उसे
बुखार घेर लेती है।
बहुत
देर तक कमरे में चुप्पी पसरी
रही। इस बीच इंतजार की वही
सबसे लाडली पांच वर्षीया छोटी
बेटी आकर रिहाना से लिपट गई।
अम्मी पापा कब आएंगे। उसके
सवाल पर इंतजार के मित्र नदीम
इकबाल ने उसे पास बुलाकर गाल
थपथपाया। बोले, बेटा
बस आ ही रहे हैं। उनके इतना
कहते ही छोटकी फिर अम्मी से
चिपक गई, हम
बोले थे न मोहल्लम (मोहर्रम)में
दलूल (जरूर)आएंगे
पापा। अब मेली (मेरी)तबियत
थीक (ठीक)हो
जाएगी। उसकी तुतलाहट भरी
मासूमियत ने माहौल जरा सामान्य
किया। फिर रिहाना सिलसिलेवार
कई सवाल दागती हैं। जैसे,
एनआईए ने क्लिन
चिट दे दी। कोई साक्ष्य नहीं
मिला। वहीं कुछ अखबार वाले
लगातार मेरे पति को आतंकवादी
बताते रहे। पुलिस ने अदालती
कार्रवाई में इतनी देरी क्यों
की। बच्चे दस दिनों तक स्कूल
नहीं गए। बेटी ने सहेलियों
से मिलना-जुलना
बंद कर दिया। कहती हैं कि बेटा
वकील, तो
बेटी अब चाहती है कि जज बने,
ताकि कोई भी
बेकसूर इसतरह तिल-तिल
ताजा सांस लेने को न तरसे।
बेटा अक्सर पूछता है आखिर पापा
को किस बात के लिए पुलिस ने
पकड़ा।
नोट:
इंतजार अली
को 20 अगस्त
2015 को
पुलिस ने पकड़ा। बताया कि उनके
पास विस्फोटक भरा थैला था।
बाद में एनआई और सीआईडी ने दी
क्लिन चीट। लेकिन पुलिस अहं
के चक्कर में उसपर आरोप दर
आरोप लगाती रही। आखिर अदालत
ने 15 अक्टूबर
को उसे जमानत दे दी।
भास्कर,
रांची के 16
अक्टूबर 2015
के अंक में
प्रकाशित
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