बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

शेरघाटी जो इक शहर है आलम में इंतिख़ाब

वाया  रंग लाल के प्रेमिल क्षण    सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से हमें हमारे बचपन से जुड़ी हर चीज़ से दूर ले जाया गया हमें हमारी गलियों पटियों और महफ़िलों से बाहर ले जाया गया बहुत टुच्ची ज़रूरतों...
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सोमवार, 22 दिसंबर 2014

41 अनाम शवों की अंत्येष्टि में रो पड़ा रांची का जुमार पुल भी

संवेदनाएं शेष हैं अभी शहरोज़ @  जुमार पुल तब अंग्रेजों का समय था। आवागमन भी कम था। तभी जुमार नदी को पार करने के लिए मेसरा के पास मुझे(जुमार पुल)बनाया गया। जब  घोड़ों पर सवार आजादी के दीवाने की टोलियां इधर से गुजरती थीं,...
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रविवार, 14 दिसंबर 2014

नीलेश रघुवंशी को मिला शैलप्रिया स्मृति सम्मान

बहुमुखी सृजनशीलता के लिए मशहूर युवा कवयित्री व लेखिका नीलेश रघुवंशी को रविवार को रांची में दूसरे शैलप्रिया स्मृति सम्मान से अलंकृत किया गया। वन सभागार, डोरंडा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ख्यात लेखिका अलका सरावगी ने उन्हें...
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गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

भगवद गीता वाया सुषमा @ संघ

  कॅंवल भारती की क़लम से  गीता पर ख़तरनाक  राजनीति तवलीन सिंह वह पत्रकार हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लगभग अन्धविश्वासी पत्रकारिता की थी। लेकिन अब वे भी मानती हैं कि ‘मोदी सरकार ने जब से...
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सोमवार, 8 दिसंबर 2014

अयोध्या : एक तहज़ीब के मर जाने की कहानी

   वसीम अकरम त्यागी की क़लम से कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे. वहीं खेले-कूदे बड़े हुए. बनवास भेजे गए. लौट कर आए तो वहां राज भी किया. उनकी जिंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया. जहां खेले, वहां गुलेला मंदिर...
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बुधवार, 3 दिसंबर 2014

16 मई के बाद बदलते रंग हज़ार

लोकतंत्र का भगवाकरण कृष्णकांत की क़लम से  हमारे संविधान की उद्देशिका कहती है कि भारत एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। संविधान के अनुसार राजसत्ता का कोई अपना धर्म नहीं होगा। संविधान भारत के सभी नागरिकों...
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मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

ख़्वाजा अहमद अब्बास को याद करते उनके नवासे

 आज़ाद  क़लम का  आख़िरी पन्ना मंसूर रिज़वी की क़लम से मेरी परवरिश बंबई के उसी घर में में हुई,जहां बाबा रहा करते थे। अब्बास साहब को हम मुहब्बत से ‘बाबा’ ही पुकारा करते थे । जुहु के उनके मकान में सन सत्तासी तक रहा, जोकि...
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सोमवार, 1 दिसंबर 2014

झारखंड को किसने लूटा 14 में 9 साल किया भाजपा ने शासन

 भाजपा नामक ढोल की पोल मुजाहिद नफ़ीस की क़लम से  झारखंड में भी चुनाव है। पहले चरण के बाद आज यानी दो दिसंबर को दूसरे चरण के तेहत राज्य के 20 विधानसभा क्षेत्रों में वोट पडेंगे। इनमें से अधिकतर इलाके नक्सल...
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गुरुवार, 27 नवंबर 2014

26/05 की अद्भुत शाम

सीने में जलन आँखों में तूफान सा क्यों है  ऋषभ श्रीवास्तव की क़लम से   कुछ दिनों पहले से ही जिस्म शल (ठंडा) हो रहा था।  सिर दर्द कर रहा था. कुछ सोच नहीं पा रहा. क्या बोलूंगा उस दिन? 3-4 दिन ही तो बचे हैं! विगत...
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बुधवार, 26 नवंबर 2014

ख्वाजा अहमद अब्बास और अलीगढ़

 वसुधैव कुटुंबकम के सच्चे पैरोकार  सैयद एस.तौहीद की क़लम से ख्वाजा अहमद अब्बास इस सदी के मकबूल पत्रकार,कथाकार एवं फिल्मकार थे। आपको वाकिफ होगा कि अब्बास अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ताल्लुक रखते हैं। अलीगढ...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)