बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

झारखंड को किसने लूटा 14 में 9 साल किया भाजपा ने शासन

 भाजपा नामक ढोल की पोल














मुजाहिद नफ़ीस की क़लम से 

झारखंड में भी चुनाव है। पहले चरण के बाद आज यानी दो दिसंबर को दूसरे चरण के तेहत राज्य के 20 विधानसभा क्षेत्रों में वोट पडेंगे। इनमें से अधिकतर इलाके नक्सल प्रभावित हैं। इसका कारण है, पहाड़ों से घिरे पेड़-पौधे से आच्छादित इन क्षेत्रों में विकास के सूरज का न पहुंच पाना। इधर, बड़ी तेजी से विकास के नाम पर हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति कर सत्ता शिखर पर पहुंची, भाजपा ने विस पर कब्जे की मुहिम शुरू कर दी। प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी अध्यक्ष तक चुनाव प्रचार में डगर-नगर हुए। दूसरे दल अपेक्षाकृत प्रचार-प्रसार कम कर रहे हैं। लेकिन इनमें बड़ा अंतर यह है कि भाजपा के हर छोटे-बड़े नेता झूठ बेशर्मी की हद तक बोल रहे हैं। आईये उनकी बातों की सचाई को आंकड़े के आईने में झिलमिल देखें। भारतीय जनता पार्टी के चेहरे द्वारा ये कहा जा रहा है कि जिन्होंने झारखण्ड को लूटा है व विकास नहीं होने दिया, उन्हें बेदखल करना है. स्थायी सरकार ही राज्य का विकास कर सकती है जैसे लोकलुभावन नारे के साथ अपनी सभा की शुरुआत करते हैं। मैं यहाँ आपके सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूँ जो इन दोनों बातो को ख़ारिज करते हैं। 
लगभग 60 % समय तक भाजपा रही सत्ता में
पहला कि झारखण्ड का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था। उस वक़्त भाजपा ने सत्ता संभाली थी। तब से लेकर आज तक आचार संहिता लागू होने तक कुल 5121 झारखण्ड में शासन रहा है। अलग-अलग करके देखें तो भाजपा नें कुल 2982 दिन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा नें 306 दिन, निर्दलीय नें  1212 दिन, व राष्ट्रपति शासन 621 दिन रहा है। कुल का अगर हम प्रतिशत निकालें तो लगभग 60 % समय तक भाजपा का ही शासन रहा है। जितने मुख्य कंपनियों के साथ राज्य की सम्पदा के साथ खिलवाड़ करने वाले समझौते हुए हैं वो सब के सब महान राष्ट्र भक्त भाजपा के शासन काल में हुए हैं। झारखण्ड को तो भाजपा नें ही सबसे ज्यादा लूटा है।  (स्रोत )

स्थायी गुजरात सरकार के विकास का सच
इधर, भाजपा समेत मीडिया ने गुजरात को सबसे विकसित राज्य के मॉडल की तरह पेश किया। हालांकि ईमानदार सर्वे और पत्रकारों की रपटों ने इसकी भी कलई खोल दी। झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान भोपूओं द्वारा शोर किया जा रहा है कि स्थायी सरकार ही राज्य में विकास करा सकती है। अगर मोदी जी के मॉडल गुजरात का उदाहरण लें तो हम पाते हैं की राज्य में गृह विभाग, सूचना जनसम्पर्क विभाग, विधायी कार्य एवं संसदीय कार्य, जलसंसाधन/नर्मदा, राजस्व विभाग एवं जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विभाग इंचार्ज सेक्रेटरी के भरोसे चल रहे हैं। (स्रोत गुजरात इंडिया)

राज्य मे माननीय उच्च न्यायलय अहमदाबाद के समक्ष 320 जनहित याचिकाएं आज की तिथि तक वर्ष 2014 दाखिल हो चुकी हैं। (स्रोत ) याचिकाएं शिक्षा, नौकरी, मानवाधिकार, जबरन भूमि अधिग्रहण आदि जनहित के व्यापक मुद्दो की हैं। राज्य में मानवाधिकार आयोग के दो सदस्यों में से एक, रजिस्ट्रार, लॉ (विधि) अधिकारी के पद रिक्त है (स्रोत ), राज्य में अलपसंख्यक आयोग नहीं है। (स्रोत टाइम्स ) राज्य के बाल अधिकार आयोग के सदस्यों के अधिकार आज तक वर्णित नहीं हैं।   शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2013 में 49 बालको व 2014 में 614 के दाखले हुए हैं। (स्रोत ऑउटलुक ) ये साफ़ दिखाता है कि राज्य में कितना विकास स्थाई सरकार नें किया है। 

दरअसल भाजपा के सूरमा नेता जनता को गुमराह कर सत्ता को हथियाने वाले हैं। जनता के मुद्दे बिजली, रोज़गार, पानी, पर्यावरण से भटका कर सुनहरी सपनो की दुनिया को दिखा कर देश का निजीकरण कर अपनी झोली भरने का मामला है। 

(रचनाकार-परिचय:
जन्म: 11मार्च 1982 को बाराबंकी उत्तर प्रदेश में
शिक्षा: स्नातक
सृजन: छिटपुट इधर-उधर
संप्रति: बाल अधिकार कार्यकर्ता, रांची
संपर्क: nafeesmujahid43@gmail.com )

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- अल्लामा जमील मज़हरी

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