
एक भी शे’र अगर हो जाए
विजेंद्र शर्मा की क़लम से
इसमें कोई शक़ नहीं कि अदब की जितनी भी विधाएं हैं, उनमे सबसे मक़बूल (
प्रसिद्ध ) कोई विधा है, तो वो है ग़ज़ल ! दो मिसरों में पूरी सदी की दास्तान बयान
करने...
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कमलेश सिंह की कलम से
Fear, Oh Dear!
मैं तो बस आप ही से डरता हूँ.
मैं कहाँ कब किसी से डरता हूँ.
मेरी दुनिया है रोशनाई में,
इसलिए रौशनी से डरता हूँ
बहर-ए-आंसू हूँ...
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क़मर सादीपुरी की कलम से
1.
ये निजाम क्या निजाम है।
न ज़मीन है, न मकान है।
झूठा, चोर, बेईमान है।
कोहराम है, कोहराम है।
सच को मिलती है सज़ा
अदालत भी उगलदान है।
दिल किस क़दर है बावफा
तुझे इल्म है, न गुमान...
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हिंदी के संवेदनशील जानकार चाहिए
सैयद शहरोज़ क़मर की कलम से
समय के साथ संस्कृति, समाज और भाषा में बदलाव आता है। परंपरा यही है।
लेकिन कुछ लोगों की जिद इन परिवर्तनों पर नाहक नाक भौं सिकोड़ लेती है।
अपने अनूठे...
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झारखंड के लिए नहीं है सुहाना सफ़र
कुंदन कुमार चौधरी की कलम से
झारखंड बनने के 11 साल बाद पहली बार फिल्म फेस्टिवल 'सुहाना सफर का आयोजन
12 से 15 सितंबर तक रांची में किया जा रहा है। इस बात से झारखंड ·े
फिल्मकार...
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हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया....
सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से
सितम्बर की कोई तारीख. साल २००८.रायपुर को मैं अलविदा कर चुका था. देशबंधु
के प्रबंधन से ऊब थी, वहीँ दिल्ली आकर कुछ अलग कर गुजरने का ज्वार रह-रह कर
उबल...
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सुरजीत पातर मार्फ़त ऋतु कलसी
पाश के बाद पंजाबी कवि सुरजीत पातर सबसे ज्यादा पढ़े गए हैं. उनके लबो लहजे
की ताजगी दायम है आज भी. जालंधर, पंजाब के एक गांव में १४ जनवरी 1944...
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ऐसा नहीं कह सकते कि थिएटर दम तोड़ रहा
विभा रानी
सैयद शहरोज़ कमर से संवाद
लेखक किसी किरदार को जीता है..उसे किसी चित्रकार सा कागज़ ए कैनवास पर
उतारता है..लेकिन लेखक ही उस किरदार को अपने अभिनय में डूबती आँखों जीवंत
कर...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)