
फ़ोटो : मीर वसीम
एक विचारधारा ने कैसे बदल दिया रंग-रोगन करने वाले मज़दूर का रंग
पटना ब्लास्ट के चार आरोपियों के गाँव हेड कोचा सिठियो से
धुर्वा से लोदमा जानेवाली सड़क सोमवार को बेहद खामोश थी। जगह-जगह समूह में युवा व बुजुर्ग जरूर खड़े मिले।...
read more...

मुमताज़ नाज़ां की आठ ग़ज़ल 1.हवा ए सर्द से चिंगारियां अक्सर निकाली हैं मेरे महबूब की यारो अदाएं भी निराली हैंचलो देखें हक़ीक़त रंग इन में कैसे भरती है तसव्वर में हज़ारों हम ने तस्वीरें बना ली हैंमोहब्बत का दफीना जाने किस जानिब है पोशीदा हज़ारों...
read more...

फ्रैंक हुज़ूर @ शहरोज़
रांची के सेंट जेवियर कॉलेज के छात्र रहे मनोज कुमार अब फ्रैंक हुज़ूर बन चुके हैं। लंदन में इनके लेखन के दीवानों की कमी नहीं हैं। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पर लिखी उनकी किताब 'इमरान वर्सेस इमरान: द...
read more...

अदनान कफ़ील की क़लम से
दूर क्षितिज के पार
उदित हुआ है अंतर्मन में सहसा एक विचार
सोच रहा हूँ कुछ तो होगा, दूर क्षितिज के पार
निर्मम धागों से अब तक है, गुथी हुई यह काया
भाग रहा हूँ कब से जाने, फिर भी हूँ भरमाया
समय पाश से बच न...
read more...

ज़ुलेख़ा जबीं की क़लम से
आदिवासी और स्त्रियों के बहाने
तेजी से विकसित होते भारत में भौतिक विकास तो चरम की तरफ है मगर नागरिक विकास में भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है। आज से 12 बरस पूर्व (लगभग 1करोड़ 55लाख 98 हजार की आबादी वाले छग में 66...
read more...

प्रेम शर्मा के गीतों की फुलवारी का खिल उठना
ऋतुपर्णा मुद्राराक्षस की क़लम से प्रेम शर्मा कबीरपंथी गीतकार और पढ़ने-लिखने के बेहद शौक़ीन। घर के माहौल का असर ही था कि विज्ञान की छात्रा होने के बावजूद साहित्य-पठन-पाठन में...
read more...

रश्मि शर्मा की दस कविताएँ
अभिशप्त आत्माओं की नींदफिर बीती एक रातध्रुव तारे से आंख मिलातेचांद को बादलों तलेदेखते ही देखते छुप जातेतुम्हारी भेजी नींद कोदेखा रूठ कर दूर जातेऔर अब सुबहआंखों की कालिमा मेंढूंढ रही हूंएक सुकून...
read more...

डरडर कहीं और थामैं कहीं और डर रहा थाडर उस जर्जर खड़ेपेड़ की छाँव में थाऔर मैं धूप से डर रहा था दुनिया भर की तमामपवित्र किताबेंभय और आतंक सेभरी पडी थींऔर मैंअपने सबसे डरे समय मेंउन्ही को पढ़ रहा था।
मैं इन ठंडी किताबों...
read more...
(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)