बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष : उर्दू-हिन्दी-बांग्ला-पंजाबी के मार्फ़त

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शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

कौन लौटाएगा उसके १४ साल जो निर्दोष ने जेल में गुज़ारे

१८ साल के आमिर को बना दिया गया था आतंकवादी आमिर अपनी माँ के साथ पुरानी दिल्ली के घर में चित्र साभार: हिन्दू   परवाज़ रहमानी की कलम से जब वह सिर्फ 18 साल का था वो गरीब माँ बाप का इकलौता बेटा था उम्र 18 साल पुरानी दिल्ली की घनी आबादी में...
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सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क-ए-आब हुई........... शहरयार को याद करते हुए

मौत तो जीती मगर वो हारा नहीं  शहबाज़ अली खान  की क़लम से   यूँ तो घर में (ननिहाल में) जब से आँख खुली तबसे उर्दू के ही शायरों मीर, ग़ालिब, दर्द, सौदा और न जाने कितने उर्दू शायरों/ अदीबों का हीज़िक्र सुन सुन...
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शहीद राजेश शरण को सलाम!

हे वीर! तुझे आखिरी विदा   शहरोज़ की कलम से मैं मुक्तिधाम हूं .रविवार (१२ फरवरी) सुबह से ही मेरे हाथ काँप रहे थे। मेरे आंगन के  बरगद, पीपल और नीम भी मौन थे। हरमू (नदी) की  हवाएं भी कानों के पास आकर बुक्का फाड़ रो पड़ी...
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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

बिहार में नीतीश के विकास की झलक

 संदीप मौर्य की क़लम से बिहार में इन दिनों लूट मची है। लूट के तरीके भी अजीबोगरीब हैं। अजीबोगरीब इस मायने में कि करोड़ों रुपये का घोटाला हो जाता है और किसी को इसकी भनक तक भी नहीं लगती। आज हम जिस घोटाला की बात कर रहे हैं वह बिहार राज्य प्रशासनिक...
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बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

पेड़ न्यूज़ : पुराना खेल, नयी चाल

आशीष कुमार ‘अंशु’ की कलम से अधिक दिन नहीं हुए, जब दिल्ली के एक राष्ट्रीय अखबार के एमडी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कह रहे थे कि इस बार चुनाव में पेड न्यूज ना छापने के संकल्प की वजह से कंपनी को चालिस लाख रुपए का नुक्सान होगा। यह तो...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)