बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

सोमवार, 21 जून 2010

ईरान की गोली

 







विश्व के  चौधरी ने खाप लगा कर फ़तवा जारी कर दिया है कि खबरदार ! होशियार ! इराक़ के बाद अब बारी ईरान की है ! और आरोप वही हैं जो इराक़ पर थे और उस मुल्क की तबाही वहाँ के तेल कुएं पर कब्जे के बाद गलत साबित हुए थे.खैर, लेकिन आप उस गोली का क्या करेंगे  ! जो तेज़ से तेज़ तर होती जा रही है.जिसके  निशाने पर पूरी दुनिया है.उसे बच्चों की मुस्कान लह लहाती  फसलों में, तो कभी किसी फूल में दिखाई देती है.

उम्र 11 किताब 34

शर्म आती है लिखते हुए कि चौंतीस साल में हमलोग ग्यारह किताब नहीं लिख पाए.कभी समय का रोना तो कभी स्थितियों का विलाप ! लेकिन उसकी  उम्र महज़ ग्यारह साल है और उसने अब तक 34 किताबें लिख दीं हैं। किताबों की बिक्री से मिले पैसे का सदुपयोग अनाथ बच्चों के लिए किया जाता है.यह उसका ही निर्णय है.जी ! आप सही समझ रहे हैं मैं ईरान की रहने वाली विश्व की सबसे कम आयु की रचनाकार  मेलिका गोली की बात कर रहा हूँ. इस तरह वह दुनिया की सबसे कम उम्र की दानी भी है।

मुझको जाना है अभी ऊंचा हद-ए-परवाज़ से .उसके आदर्श हैं फ़ारसी के ख्यात साहित्यकार फ़िरदौसी और प्रचुर लेखन कर उन्हीं की  तरह रिकॉर्ड  बनाना चाहती है.आगे उसने  कहा कि हालांकि  उसे पता है कि वह  उस शिखर तक  कभी नहीं पहुँच सकती. क्योंकि वह वास्तव में एक महान व्यक्तित्व थे . बच्चों के लिए लिखने का उसका इरादा जीवन भर है . इरान के मशहद शहर  में अपने  परिवार के साथ रहने वाली मेलिका  जब  सात वर्ष की थी और पहली कक्षा में पढ़ती थी  तो  स्कूल में   आयोजित कहानी लेखन में उसने भाग लिया था. हालांकि, वह मौखिक प्रतियोगिता थी. लेकिन यहीं से उसके  लेखन की शुरुआत होती है.संसार के साहित्य पटल पर सितारे की तरह नमूदार हुई इस नन्ही लेखिका की अब तक चौदह किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं.जिनमें भगोड़ा, दौलतअमीर  बाप,दुल्हन,अधिक से कहीं ज्यादा सुंदर, साइकिल, अंतिम समय  और नया बॉस उसकी प्रमुख कृतियाँ  हैं.
मुख्य रूप से विदेशी लेखकों की  किताबें पढ़ने में उसकी  दिलचस्पी है. ब्रिटिश उपन्यासकार रोल्ड   डहल , अमेरिकी साहित्यकार शेल  सिल्वर स्टेन  , डेनिश लेखक हैंस क्रिश्चियन एण्डरसन और ईरान के  लेखकों में  मेहदी अजार यजदी  और सदक़  हिदायत   उसके पसंदीदा लेखकों  में से हैं. उसका कहना है कि बच्चे ज़्यादातर विज्ञान की किताबें पढना चाहते हैं जबकि स्कूल के पुस्तकालयों   में उन्हें धर्म और इतिहास से सम्बंधित पुस्तकें ही मिलती हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
फिलहाल वह अपना नाम गिनीज बुक आफ र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाना चाह रही है। मेलिका के पिता ने  अपनी बेटी का नाम गिनीज बुक ऑफ र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए आवेदन कर दिया है। लेकिन गिनीज बुक के अधिकारियों का कहना है कि मेलिका को यह सम्मान देने के लिए उन्हें ईरान सरकार की ओर से भी आधिकारिक आवेदन चाहिए। आगे वे कहते हैं कि उन्हें  नहीं लगता कि इससे पहले इतनी छोटी उम्र का कोई लेखक सामने आया है। ईरान के नेशनल रिकॉर्ड लिस्ट के अधिकारियों ने  इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है कि मोलिका ही सब से कम उम्र की लेखिका है.






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24 comments: on "ईरान की गोली"

निर्मला कपिला ने कहा…

नमन है इस नन्ही लेखिका को। हैरान भी हूँ उसकी इस प्रतिभा पर। प्रेरक पोस्ट धन्यवाद।

शेरघाटी ने कहा…

उम्र 11 किताब 34

शर्म आती है लिखते हुए कि चौंतीस साल में हमलोग ग्यारह किताब नहीं लिख पाए.कभी समय का रोना तो कभी स्थितियों का विलाप ! लेकिन उसकी उम्र महज़ ग्यारह साल है और उसने अब तक 34 किताबें लिख दीं हैं।

शेरघाटी ने कहा…

किताबों की बिक्री से मिले पैसे का सदुपयोग अनाथ बच्चों के लिए किया जाता है.यह उसका ही निर्णय है.जी ! इस तरह वह दुनिया की सबसे कम उम्र की दानी भी है।

आचार्य उदय ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति।

Spiritual World Live ने कहा…

मुझको जाना है अभी ऊंचा हद-ए-परवाज़ से .उसके आदर्श हैं फ़ारसी के ख्यात साहित्यकार फ़िरदौसी और प्रचुर लेखन कर उन्हीं की तरह रिकॉर्ड बनाना चाहती हैsubhanallah!!!!

Spiritual World Live ने कहा…

इस नन्ही लेखिका की अब तक चौदह किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं.जिनमें भगोड़ा, दौलत, अमीर बाप,दुल्हन,अधिक से कहीं ज्यादा सुंदर, साइकिल, अंतिम समय और नया बॉस उसकी प्रमुख कृतियाँ हैं.

shabd ने कहा…

bhai apne desh mein bhi kaya kam prtibhaayen hain unhain bhi to saamne laao.
kapilaji se sahmat !

شہروز ने कहा…

शब्द जी. मैंने यह कब कहा या लिखा कि अपने देश में प्रतिभाओं का अकाल है!!! अपन भैया जो अच्छा दीखता है कहीं भी हो या बुरा दिखे वो भी कहीं हो कोशिश करते अहिं कि सब के बीच आ जाय !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इस जानकारी के लिए साधुवाद....और उस बच्ची को शुभकामनायें....बहुत प्रेरक

Unknown ने कहा…

SHAHROZ SAHAB HAM TO AAPKE DIWAANE HOTE JA RAHE HAIN.KAHAN SE LAAYA.WAISE IS BAAT MEIN BHI DAM HAI KI APNE MULK ME BHI LOG KAM NAHIN HAI.

shabd ने कहा…

Sharoj ji..meree baaton ka anytha na len.mera uddesy ye na tha.lekin ye to hai na ki hamlog apne desh ki kabliyat ka utna parwa nahin karte.

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी शहरोज़ साहब आप ने ,
ख़ुदा करे ये लड़्की अपनी तमन्नाएं पूरी कर सके और कामयाबी हासिल कर सके ,

नईम ने कहा…

बच्चे ज़्यादातर विज्ञान की किताबें पढना चाहते हैं जबकि स्कूल के पुस्तकालयों में उन्हें धर्म और इतिहास से सम्बंधित पुस्तकें ही मिलती हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.

नईम ने कहा…

ख़ुदा करे ये लड़्की अपनी तमन्नाएं पूरी कर सके और कामयाबी हासिल कर सके

talib د عا ؤ ں کا طا لب ने कहा…

ALLAH TAA;LAA use khoob uchaaiyaan de.AAMEEN.nice post.

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन जानकारी के लिए शुक्रिया और नन्ही लेखिका को ढेर सारी शुभकामनाएँ. प्रतिभा चाहे अपने देश की हो या विदेश की, प्रतिभा तो प्रतिभा है.

राज भाटिय़ा ने कहा…

सुंदर जानकारी के लिये धन्यवाद

हमारीवाणी ने कहा…

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rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही फख्र हुआ , इस छोटी सी बच्ची की इस असीमित प्रतिभा के विषय में जानकर...शुक्रिया इस नायाब जानकारी से अवगत कराने के लिए

kshama ने कहा…

Is bachhee ke bareme nahi pata tha...kitne fakhr ki baat hai yah,poori duniya ke liye!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

is bacchi ko dhero duai. iski har manokaamna puri ho.

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

bahut sundar, aise bachche ishvar ke varad santaan hote hain. ishvar inhen sada hi kuchh alag karne ka gun dekar bhejta hai.
usaki pratibha aur himmat ko naman.

Himanshu Mohan ने कहा…

बहुत ख़ूब! अच्छा लगा सामयिक और तत्पर जानकारी देती जागरूक पोस्ट पढ़कर।

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