बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

शनिवार, 26 जून 2010

नक्सल आन्दोलन के साथ सरकार के हाथ से झर झर गिरते समय की कथा

नक्सल आन्दोलन  के साथ सरकार के हाथ से झर झर गिरते समय की कथा , जहां स्थानीय प्रशासन की बदौलत नक्सली के बस स्टैंड के ठेके  हैं तो उसी को पकड़ने के लिए  डेरा जमाये  पुलिस का अमला !रांची से महज़ कुछ ही फासले पर है बुंडू...यानी नक्सलियों...
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शुक्रवार, 25 जून 2010

चम्बल के बीहड़ ...ज़िंदगी के रेतीले सफ़र

  शाह आलम की क़लम से   बीहड़ कभी भी अपनी जगह नहीं बदलते पर बदल गए हैं बीहड़ों के रास्ते और उनकी उम्मीदें ! उम्मीदों पर ग्रहण है तो आशाओ पर पानी की गहरी धार.जिसमे से बिना सहारे के निकलना बीहड़ों के खातिर चुनौती...
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बुधवार, 23 जून 2010

अभिशप्त एक और भोपाल! एंडरसन भागा नहीं है !!!!

  आवेश की  क़लम से  बाँध में महल के साथ डूब गयी रानी रूपमती का क़िस्सा  वारेन एंडरसन के भागे जाने पर हो हल्ला मचाने वाला मिडिया कैसे नए नए भोपाल पैदा कर रहा है. आइये हम आपको इसकी एक बानगी दिखाते हैं | हम...
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सोमवार, 21 जून 2010

ईरान की गोली

  विश्व के  चौधरी ने खाप लगा कर फ़तवा जारी कर दिया है कि खबरदार ! होशियार ! इराक़ के बाद अब बारी ईरान की है ! और आरोप वही हैं जो इराक़ पर थे और उस मुल्क की तबाही वहाँ के तेल कुएं पर कब्जे के बाद गलत साबित हुए थे.खैर, लेकिन आप उस...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)