बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

बुधवार, 25 मई 2016

आईआईटीयन चंद्रशेखर बने स्वामी पशुपतिनाथ

 सैयद शहरोज़ क़मर की क़मर से सनातन परंपरा की अलौकिकता के महाकुंभ सिंहस्थ उज्जैन में देश-दुनिया की विभिन्न रंगत अकार ले रही है। श्रद्धालुओं से घिरे साधु-संतों में कई ऐसे हैं, जो कभी बिजनेस मेन रहे, तो...
read more...

न कोई अगड़ा, न कोई पिछड़ा, सभी समरसता में झिलमिल

उज्जैन सिहंस्थ बना सनातन परंपरा की एकता बंधुत्व का महाकुंभ सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से हावड़ा से चली क्षिप्रा एक्सप्रेस देर रात ज्योंही भोपाल जंक्शन से छूटी, यात्रियों में खलबली शुरू। कोई एक हो तो नाम लूं। लगभग 90 प्रतिशत मुसाफिरों...
read more...

शनिवार, 21 मई 2016

छैला संदु पर बनी फिल्म को लेकर लेखक-फिल्मकार में तकरार

मंगल सिंह मुंडा बोले, बिना उनसे पूछे उनके उपन्यास पर बना दी  गई फिल्म, भेजेंगे लिगल नोटिस जबकि निर्माता और निर्देशक का  लिखित अनुमति का दावा सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से शीरीं-फरहाद, हीर-रांझा, लैला-मजनूं, सोहीनी-महिवाल और...
read more...

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

तिल-तिल आस्था, रोम-रोम राममय

 रांची में हर्ष-आस्था का रंग  फोटो : माणिक बोस सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से वही "नवमी तिथि मधुमास पुनीता' यानी चैत्र महीना की नौवीं तारीख। मौसम भी मध्यान्ह में वही "शीतल मंद सुरभि बह बाऊ।' हर्ष-उल्लास की बानगी भी वही, बस तब...
read more...

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

शहीद तंज़ील के ख़ानदान की बिटिया जब बोली....

तंज़ील अहमद काश तुम लौट आते ! सीमा आरिफ़ की क़लम से तारीख़ 3 अप्रैल। रात 12 बज कर 40 मिनट। तारीकियों की आग़ोश से फायरिंग की आवाज़। जो खामोशियों का सीना चीरती हुई जब मेरे गावं सहसपुर (बिजनौर) तक...
read more...
(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)