बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

शम्भु यादव की कविताएँ

 नौ साल का रामरतनगुल्ली पर टुल लगाने की उम्र में मैदानों को दौड़-दौड़ थका देने की उम्र में स्कूल में पहाड़े सुनाते वक्त सबसे तेज हो सकती थी उसकी आवाज  अपने गांव से कोसो दूर दिल्ली की एक दूकान पर गोल-गोल बिलता बचपन नौ साल का...
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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

मुस्लिम दोस्तों से एक अदना गुज़ारिश

मस्जिद तो बना दी शब भर में, ईमान की हालत ठीक नहीं तुझसे मेरी शर्ट कम सफेद क्यों! टशन का मामला है साहब ! आप खुद देख लीजिये घरों में गहरी तारीकी (अंधकार) है, लेकिन मस्जिद में दिए रौशन किये जा रहे हैं। बात महज़ चराग़ की नहीं। महंगे...
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सोमवार, 23 सितंबर 2013

सर्वधर्म समभाव वाया राजनीति @ नमो

मुज़फ्फ़र नगर फ़साद : दंगे में ख़ाक -राख हुए अपने घर को ताकता एक मासूम साभार इंडियन एक्सप्रेस संदर्भ अनंतमूर्ति समय अब ज्यादा क्रूर है। संकट गहरे हैं। बोलने की आज़ादी पर पहरे हमेशा रहे हैं। लेकिन देश में लोकतंत्र की गहरी जड़ों को डिगा पाना बेहद मुश्किल...
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शनिवार, 21 सितंबर 2013

कहानी: इयररिंग...

डॉ. अमिता नीरव की क़लम से  रविवार का दिन था, स्कूल की छुट्टी। सरकारी स्कूलों में यूँ भी होमवर्क-फोमवर्क जैसा कुछ हुआ नहीं करता था। इसलिए दिन भर उसके फुदकने-खेलने के लिए था। वो यूँ ही घर में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर के चक्कर लगा...
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शनिवार, 14 सितंबर 2013

कोलकता में हिंदी का ठाठ

  प्रतिमा सिंह ’आरजू’ की क़लम से .हिंदी और उसके विकास में  अहिन्दी भाषी प्रदेश बंगाल का वाहिद महानगर कोलकता  का भी बड़ा योगदान रहा है। शताब्दियों से हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध करने में अहिन्दी भाषी प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका...
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बुधवार, 11 सितंबर 2013

आदिवासी के नाम पर बने विवि से आदिवासी ही नदारद

श्रीधरम की क़लम से इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय का सच आदिवासी समाज को ऊच्च शिक्षा से जोड़ने और वैश्वीकरण की  दौड़ में उन्हें उन्नति के रास्ते पर लाने के उद्देश्य से अमरकंटक (म.प्र) में  2008 में ...
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