
ख़ालिद ए ख़ान की क़लम से
यूँ ही आई तुम हमेशा की तरह
हवा में उड़ते खुश्क ज़र्द पत्ते की तरह अनायास !ओठों पर वही बेतरतीब...
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अजय पांडेय 'सहाब' की क़लम से
1.
कुछ चीखती उदास सी शामों को
छोड़कर
वो चल दिया कहीं
सभी रिश्तों को तोड़कर
सब कुछ बिखर गया
मेरा उसके फ़िराक में
वो जो चला गया
मुझे रखता था जोड़कर
मिल भी गया तो
देखिये...
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जगन्नाथ आज़ाद (5दिसंबर 1918-24 जुलाई 2004)
जिन्ना की ख्वाहिश
पर लिखा
हुसैन कच्छी की क़लम से
वर्ष 2004 में उर्दू के मशहूर शायर जगन्नाथ आज़ाद के इंतक़ाल के
बाद हिंदुस्तान...
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पंखुरी
सिन्हा की क़लम से
आख़िरी अट्टहास
अब
वह आगे बैठी,
टेलीविज़न
के,
हँस
रही है,
एक
हँसी,
एक
बेहद राजनीतिक हँसी,
करती
हुई दिन का
हिसाब,...
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