बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

आधी आबादी की मुकम्मल उड़ान



पंचायत परिषद की पहली राज्यस्तरीय बैठक में शामिल होने रांची आईं महिला पंचायत प्रतिनिधियों से मिलने के बाद बरबस एक पंक्ति गूंज उठती है, ‘परिंदों को मिलेगी एक दिन मंजिल, यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं’।

ओरमांझी के हेंदबली की मुखिया शीला देवी अपने इलाके में बिजली लाना चाहती हैं, ताकि रोशन हो सके पांच हजार लोगों का घर संसार। खड़िया से बच्चे साफ साफ लिख सकें ‘व से विकास’। छह माह के बच्चे को गोद में संभाले जब शीला देवी बोलती हैं तो गांव की बदल रही तस्वीर सामने आ जाती है।

उनके गांव की तरह इसमें अभी धुंधलापन तो है, लेकिन इन जैसी ढेरों महिला पंचायत प्रतिनिधियों के इरादे गांव की एक नई इबारत लिखने का हौसला रखते हैं। गांववालों का उन पर भरोसा उनके पंचायत के आसपास घिरे जंगल सा ही घना है। बिजली के बाद सड़क, भतीजे कमल बेदिया की प्रेरणा से आगे आई इंटर पास शीला की प्राथमिकता में है।

शहीद शेख भिखारी के गांव खुदिया लुटिया की कुटे पंचायत की मुखिया, मैट्रिक पास सुनीता देवी अपने रंग की तरह ही पंचायत भी सांवला सलोना चाहती हैं। उन्हें कोफ्त है कि शहीदों के गांव की चिंता सरकार नहीं करती। सबसे पहले सड़क बनवाएंगी ताकि विकास दौड़ सके।

खेतिहर पथरीली जमीन के लिए सिचाई के बंदोबस्त की भी उन्हें फिक्र है। सभी जरूरतमंदों को लाल और पीला कार्ड दिलाने और गांव गांव पेयजल की पहुंच की जुगत में चकला पंचायत की नीलम गुप्ता लगी हैं। रुदिया की समिति सदस्य सुबोधिनी महली जीत का श्रेय साहेरबड़ा गांव के जगदीश महतो को देती हैं, पानी की समस्या से निजात मिल जाएगी, उन्हें भरोसा है।

बानापीड़ी की पंचायत समिति सदस्य रेहाना सुल्ताना का तेज दिल्ली सल्तनत की साम्राज्ञी रही रेहाना सुल्ताना की तरह ही है। स्कूल की हालत में सुधार लाना और मुस्लिम लड़कियों के बीच शिक्षा की लौ जगाए रखना चाहती हैं। रातू पंचायत की इस समिति सदस्य की राह में नकाब कभी बाधा नहीं बनी। बचपन से ही कुछ करने की तमन्ना संजोए शहजादी परवीन ने जब बीए में दाखिला लिया तो राजनीति विषय का चुनाव किया।

बरवे पंचायत समिति की सदस्य बन उन्होंने सपने की पहली मंजिल तय की है जरूर, लेकिन एमएलए एमपी बन कर देश की सेवा करना उनका सपना है। सदमा पंचायत की सुशांति मुंडा ने जनसेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया है। उनके पति महंती मुंडा नेक काम में उनके साथ हैं। हेंदली पंचायत की उपमुखिया झानो देवीहों या पाचा पंचायत की सदस्य आशा देवी इनके इरादे भी गांव के विकास को लेकर नेक हैं।

महिलाओं का एक सा संकल्प

इन महिलाओं में भ्रष्टाचार के विरुद्ध गहरा आक्रोश है। झानो देवी और आशा देवी हों या शहजादी, सुशांति, शीला। आधी आबादी ने अब झारखंड में कमान संभाल लिया है। इन्होंने ठान लिया है कि विकास की राह में आने वाली हर रुकावटों का वह मुंहतोड़ जवाब देंगी। जरूरत पड़ी तो भ्रष्ट अघिकारियों के कॉलर भी पकड़ने में उन्हें गुरेज नहीं होगी।

बबुआ है सरकार, लड़ कर लें अधिकार: सुबोध

केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि राज्य में एमएलए और एमपी की सरकार फेल हो गई है, अब उम्मीद गांवों की सरकार से है। विकास का सारा दारोमदार आप पर है।

अपना अधिकार लड़कर लें। सरकार यहां बबुआ है, इन्हें समझ नहीं, आप समझाइए और अधिकार लें। अधिकार मिलेगा तभी काम होगा और पंचायत चुनाव का उद्देश्य पूरा होगा। सुबोध ने आयोजकों को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।

भास्कर के लिए लिखा गया 

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3 comments: on "आधी आबादी की मुकम्मल उड़ान"

kshama ने कहा…

Mahilayen ye kaam kar dikhayen to kya khoob rahegi!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

विकास की आकांक्षा में भ्रष्टाचार बाधक है, आक्रोश स्वाभाविक है।

Fauziya Reyaz ने कहा…

mushkil par mumkin....

(kahan gayab hain aaj kal)

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- अल्लामा जमील मज़हरी

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