बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

रविवार, 28 जून 2015

ओम के साथ अल्लह का योग

फोटो: रमीज़ पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर राजधानी में जुटे छह हजार लोग सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से आसमान में बादलों की अठखेलियां। इधर, मोरहाबादी मैदान पहुंचती स्कूली बच्चों की टोलियां चुहल करते हुए। लेकिन जब बच्चे योग स्थल पहुंचे, तो...
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समाधान के अंतिम पड़ाव से खाली हाथ लौटीं उम्मीदें

फोटो : माणिक बोस जनता दरबार में झारखंड सीएम आवास पहुंचे करीब पांच सौ लोग उन्हें आश्वासन कम, डांट मिली अधिक   सैयद शहरोज कमर की क़लम से सीएम रघुवर हैं, दर्द को...
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