बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

रविवार, 28 जून 2015

ओम के साथ अल्लह का योग

फोटो: रमीज़



पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर राजधानी में जुटे छह हजार लोग



सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से

आसमान में बादलों की अठखेलियां। इधर, मोरहाबादी मैदान पहुंचती स्कूली बच्चों की टोलियां चुहल करते हुए। लेकिन जब बच्चे योग स्थल पहुंचे, तो वातावरण ने उनके चित्त को स्थिरता दी। विश्व के पहले अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर राजधानी का दृश्य ही जुदा रहा। मोहाबादी में हुए मुख्य आयोजन में करीब छह हजार लोगों ने वसुधैव कुटुंबकम के नेक इरादे से भागीदारी की। कहते हैं कि मनुष्य और प्रकृति के बीच योग सामंजस्य बनाता है। इसकी अनुभूति साक्षात हुई। योग स्थल के चारों ओर जहां मुस्कुराते गुलमोहरों ने बच्चों की लयात्मक योगमुद्राओं की डोल-डोल कर सराहना की। वहीं जब मुख्यमंत्री बोलने को मंच पर आए, तो सूरज की किरणें बादलों की ओट से निकल मैदान में बिखर गईं। अतिथियों के सधे वक्तव्य के बाद मंच पर विराजे योगगुरुओं के संचालन में सभी ने गहरी सांस लेकर तीन बार प्रणव गान ऊं का उच्चारण किया। मुस्लिम भाइयों ने इसकी जगह अल्लाह उच्चारित किए। इसके साथ ही प्रकृति से तादात्मय करती ऊर्जा फिजा में संचरित हो उठी। इसके बाद गुंजायमान हुआ, 3म् संगच्छध्वं, सं वो मनांसि जानताम् देवा भागं यथा पूर्वे, संजानाना उपासते (हम सब एक साथ मिलकर चलें, हम सब एक साथ मिलकर बोलें, हमारे मन एक जैसे हों, जैसे हमारे पूर्वज कतर्व्यनिष्ठ और विवेकेशील थे, वैसे हम भी बनकर, उस ईश्वर की उपासना करें)। अब प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव हर चेहरे पर कांतिमय हुआ। फिर फूलों की शाखाओं के समान ग्रीवा चालन के क्रम में कभी गर्दन इधर, तो कभी उधर हुई। नदी की लय पर शरीर झुका और उठा। ताड़ासन से आरंभ योग कपालभाति पर आकर रुका। इसके बाद अनुलोम-विलोम, भ्रमरी और प्रणव पर आकर विराम। तभी संकल्प के स्वर समवेत हुए, सभी सुखी हों। सभी स्वस्थ्य हों। सभी निरोग हों। सभी का मंगल हो। अंत में सभी आंखें बंद कंठ से फूटे शांतिपाठ, 3म सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया:द्ध सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित् दु:ख भग्भवेत। ओ3म शांति: शांति:शांति:।।




मौक़े पर बोले


स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी : योग को विश्व में पहचान दिलाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस योगदान को भूला नहीं जा सकता। योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि इससे चित्त भी स्थिर रहता है। विश्व में इसके माध्यम से बंधुत्व की भावना जागृत होगी। सकारात्मक सोच के साथ समाज को स्वस्थ रखें। यही उद्देश्य होना चाहिए।


नगर विकास मंत्री सीपी सिंह: लगभग दो सौ देशों में आज योग दिवस मनाया जा रहा है। विश्वगुरु बनने का यह भारतीय सोपान है। उन्होंने नारे बताए, योग भगाए रोग व योग डराए रोग।


मुख्यमंत्री रघुवर दास : योग फल-फूल रहा है। विदेशों में भी फैल रहा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएनओ की बैठक में योग की चर्चा की, तो उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया गया। आज यूएनओ में सुषमा स्वराज इसकी अगुवाई कर रही हैं। गर्व का दिन है। मनुष्य जितनी भी क्रिया करता है, सफलता, सुख और शांति के लिए करता है। तनाव और उलझन से मुक्ति योग ही दे सकता है। मन, बुद्धि और आत्मा की मुक्ति योग से ही प्राप्त होती है। 365 दिन योग करें, तो राज्य को निरोग झारखंड बना सकेंगे। कुछ लोग योग के नाम पर धुंध लाना चाहते थे। लेकिन उनके विरोध के बावजूद जनता सड़कों पर उतरी। विश्व ने योग को सहर्ष स्वाकार किया। विरोध करने से देश पीछे नहीं, बल्कि अच्छे कामों से देश आगे बढ़ेगा। भारत विश्वगुरु बनेगा।


कौन-कौन आसन हुए, जिनसे इन रोगों में होता है लाभ

मोटापा दूर करने के लिए: वज्रासन, चक्रासन, कटिचक्रासन, कोणासन और पद्मासन।

कमर और पेट की चर्बी का घटाना : कटि चक्रासन, वृक्षासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, पादस्तासन।

कमर दर्द : मकरासन व भुजंगासन।

कब्ज रोग के लिए : वज्रासन व चक्रासन।

झड़ते बालों के लिए : वज्रासन के बाद अनुलोम-विलोम प्राणायम।

16 आसन किए गए

ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्द्धचक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, अर्द्धउष्ट्रासन, शशकासन, वक्रासन, भुजंगासन, शलभासन, मकरासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन, शवासन, कपालभाति।


7 बजे से शुरू


7:33 पर समाप्त

30 पतंजलि कार्यकर्ताओं ने किया सहयोग


100 कार्यकर्ता रहे सक्रिय


08 मजिस्ट्रेट योग स्थल पर रहे तैनात


21 पुलिस अधिकारियों ने की निगरानी

1700 एनसीसी के कैडेट हुए शामिल

मंच पर विराजमान रहे गुरु

स्वामी निष्ठानंद, योगदा सत्संग

स्वामी ईश्वरानंद गिरी, योगदामठ

स्वामी मुक्तिरथ, सत्यानंद योग मिशन

सपना सिंह, पतंजलि योगपीठ

संजय सिंह, पतंजलि योगपीठ

पीएन सिंह, आर्ट ऑफ लिविंग


कार्यक्रम में ये भी रहे शामिल

मुख्य सचिव राजीव गौबा, सांसद रामटहल चौधरी, मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, भू राजस्व सचिव केके सोन, शिक्षा सचिव अराधना पटनायक, मृदुला सिन्हा, राजबाला वर्मा, आयुष अध्यक्ष अब्दुल नुमान अंसारी सहित अन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। संचालन व धन्यावाद ज्ञापन किया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की क्रमश: अकय मिंज व आशीष सिंहमार ने।





दैनिक भास्कर, रांची के 22 जून 2015 के अंक में प्रकाशित





















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समाधान के अंतिम पड़ाव से खाली हाथ लौटीं उम्मीदें

फोटो : माणिक बोस























जनता दरबार में झारखंड सीएम आवास पहुंचे करीब पांच सौ लोग


उन्हें आश्वासन कम, डांट मिली अधिक





  सैयद शहरोज कमर की क़लम से


सीएम रघुवर हैं, दर्द को समझेंगे, इस आस में शनिवार को करीब पांच सौ लोग मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचे थे। दरअसल सूबे में मुख्यमंत्री समस्याओं के निदान का अंतिम पड़ाव होता है, लेकिन ढेरों उम्मीदें सीएम आवास से खाली हाथ ही लौटीं। रांची के जालान रोड से आई थीं 79 वर्ष की लक्ष्मी देवी। उनकी झुर्रियों की तरह ही बेचैन उनकी समस्या है। नाती के सहारे सुबह दस बजे ही वह सीएम के द्वार पहुंच गई थीं। कुरेदने पर सुबकने लगती हैं। उन्होंने रमेश प्रसाद साहू को 2009 में किराए पर अपना दो कमरा गोदाम के लिए दिया। किराया तय हुआ सात हजार। जो उन्हें पूरा कभी न मिला। पर धमकी व गाली-गलौज जरूर मिली। किराएदार हटाने की गुहार वह 2011 से कोतवाली थाना, महिला आयोग से लेकर एसपी तक लगा चुकी हैं, पर अनसुनी रही। मुख्यमंत्री ने लक्ष्मी की सुनी, पर पालकोट गुमला से घिसट-घिसट कर चलकर आई मुक्ता कुमारी जैसे ढेरों लोगों को उनकी डांट भी सहनी पड़ी। उत्क्रमित हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में 72 प्रतिशत अंक आने पर भी मुक्ता की नियुक्ति नहीं हुई। जैक का कहना है कि दोनों पैरों से नि:शक्तों के लिए सीट नहीं है। जनता दरबार में इससे पहले तीन बार वह आ चुकी हैं, कभी सीएम से रूबरू न हो सकीं। जब चौथी दफा मौका मिला, तो सीएम बोले, चलिए-चलिए आगे बढ़िये। आपकी बात सुन ली गई। सीएम के एसी कक्ष से बाहर चिलचिलाती धूप में जब मुक्ता पहुंची, तो बिफर पड़ी, इस हाल में तो बेटी बचाओ, कन्यादान योजना जैसी बातें फिजूल हैं। एक लाठी ठकठकाते चलती हुई पहुंची हया कुमारी व मुक्ता का दर्द साझा है।

इनके दुख को विस्तार देती मिलीं, मुजफ्फरपुर में फिलहाल पिता शिवजी चौधरी के साथ रह रहीं पूनम देवी। उनका जमशेदपुर में हंसता-मुस्कुराता घर-आंगन था। बीएसएफ से रिटायर होकर घर आए उनके पति की गोली मारकर जमीन-विवाद में उनके भाइयों ने ही हत्या कर दी। भाभी- भतीजे को घर से निकाल दिया। पूनम दो बच्चे को लेकर कभी रांची में बहन के पास, तो कभी पिता के पास। सीएम ने कहा, पुलिस से मिलिए। यहां आकर भी एक विधवा व दो अनाथ बच्चों का जीवन पेंडुलम की तरह डोलता ही रहा। इधर, उमा देवी कहते-कहते कांप जाती जरूर हैं कि उन्हें उनके बेटे से ही जान का खतरा है। पर उनका ममत्व पति त्रिवेणी प्रसाद शर्मा को पुलिस में शिकायत करने से मना करता है। सीएम ने इन्हें भी घर पर ही मामला सुलझा लेने की सलाह दी।

सीएम चाय की चुस्कियां लेने की मुहलत में थे, तभी सुबोध गुप्ता जब अपने 18 साल के नि:शक्त बेटे को उठाए कक्ष में दाखिल हुए। बरियातू में चाय की दुकान चलाकर वे किसी तरह चार नि:शक्त बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। कई जगह उनके इलाज के लिए गए, पर पैसे की कमी हर कहीं रोड़ा बना।

बहाली से वंचित हजारों जवान
राजेश चौबे, नरेश महतो और रवि कुमार जैसे हजारों युवाओं ने 2011 में जैप में बहाली के लिए परीक्षा दी थी। लेकिन बोर्ड संख्या दो और तीन का रिजल्ट तो आ गया। जिस बोर्ड के अध्यक्ष शहीद पुलिस अधिकारी अमरजीत बलिहार थे, उसका परिणाम ही नहीं निकल सका। बलिहार की शहादत के बाद दूसरे को यह दायित्व ही नहीं सौंपा गया। बेहद उदास स्वर में राजेश कहते हैं, सीएम बोले इस बोर्ड का रिजल्ट अब नहीं निकलेगा।


जमीन पर दलालों का कब्जा
खोरहा टोली की रेजिना बारला के पति जॉन बारला ने चार कट्ठा जमीन खरीदी, लेकिन उसपर कब्जा अबतक नहीं हो सका। उनके पति की मौत भी हो गई। मामला कोतवाली थाना में दर्ज है। सुमित लकड़ा के दादा ने 1933 में लालपुर में जमीन खरीदी थी, लेकिन अब किसी ने जाली दस्तावेज बनाकर किसी और को बेच दिया। बानो से पहुंची दलित महिला कल्पना तमगड़िया के ललाट से गिरता पसीना भी उनके होटल व घर से बेदखल करने का दर्द बयान ही तो था।


विस्थापन की अलग कहानी
खादगढ़ा बस स्टैंड से पहुंची करीब दो सौ महिलाओं की एक ही फरियाद थी, उन्हें उनके आशियाने से बेघर न किया जाए। नगर निगम सरकारी जमीन पर निर्माण कराना चाहता है, जहां पर ढेरों लोग झुग्गियां बनाकर रह रहे हैं। सीएम ने इन्हें भरोसा दिया है कि उनके आवेदन पर विचार किया जाएगा। अतिक्रमण के बहाने उजाड़े गए कचहरी के दुकानदारों की पीड़ा है कि उन्हें उजाड़ तो दिया गया, पर वादे के बाद भी आजतक उन्हें जगह नहीं दी गई। करीब सौ पारा टीचर और दस खेल प्रशिक्षक की मांग उनकी स्थायी बहाली की थी। मुख्यमंत्री ने इन्हें भी दिलासा ही दिया।


शहीद के परिजन की पुकार
प्रदीप कुमार सीआरपीएफ के जवान थे। 11 मार्च 2014 में सुकमा छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हो गए। उनकी पत्नी आशारानी व चार बच्चे कुटे में रहते हैं। उन्हें सरकार से न कुछ आर्थिक मदद मिली, न ही अनुकंपा नियुक्ति, लेकिन नए सचिवालय भवन के नाम पर उनके घर को लेने की तैयारी सरकार जरूर कर रही है। आशा बड़ी आशा लेकर पहुंची थी। जब सीएम से मिलकर निकलीं, तो खामोश थीं। उनकी बहन उषा बोलीं, सीएम ने कहा है मामले को देखेंगे।


दैनिक भास्कर, रांची के 20 जून 2015 के अंक में प्रकाशित


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