
छह छोटे क़िस्से व्यंग्य और मर्म के
विभांशु दिव्याल की क़लम से
1.
सेठ खोखामल अपनी धर्म की दुकान पर मस्जिद मंथन से उत्पन्न हुए हिंदुत्व के अमृत को बेचकर बच्चे-बच्चे को राम बनाने लगे, माताएं खिलौनों...
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फोटो रमीज़
श्रीनगर से सैयद शहरोज़ क़मर
लाल चौक धूप में भले चटक रहा हो, लेकिन फुटपाथ पर दुकानों से सामान
निकालकर बेचने वालों और खरीदारों के चेहरे से रौनक गायब है. जबकि नाम के
अनुरूप ही श्रीनगर के इस दिल की लालिमा निशात बाग़ की तरह...
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दो कविता अगस्त की
फोटो: स्व. विजय गुप्ता
शहरोज़ की क़लम से
आफ़त कभी आती थी
हमने इतना विकास कर लिया कि
आफ़त जब चाहा, जहाँ चाहा उंडेल दी जाती है
बवंडर बवा भी कर ली जाती है निमंत्रित।
आपके और आपके परिवार की रातों रात
बनाई...
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