बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

सोमवार, 9 जनवरी 2012

ख्यालों की बारिश में भीगी ब्लागर्स मीट












ब्लागर्स मीट में रहा विचार का तेज, गजलों की ताजगी

रांची में रविवार को  श्री कृष्ण  लोक  प्रशासन संस्थान के  व्याख्यान कक्ष में झारखंड के  ब्लॉगर्स जुटे। कनाडा से आई ब्लागर व कवयित्री स्वप्न मंजूषा अदा के  सम्मान में इस का आयोजन आह्वान नामक  सांस्कृतिक संस्था ने किया था। इस मौके  पर विभिन्न ब्लागरों के  विविध ख्यालों की  रंगत ने श्रोताओं के सामने ब्लाग्स के  नए मायने दिए। बीच बीच में गजलों और कविताओं की  रिमझिम बारिश भी होती रही। रांची, बोकारो, धनबाद और खूंटी के ब्लागर्स  और वर्चुअल स्पेस में लिखने वाले रचनाकारों ने इसमें शिरकत की.

जन सरोकारों से जुड़े ब्लाग्स
जन सरोकारों से जुडी ख़बरों और विमर्श के लिए ब्लॉग बेहतर विकल्प ज़रूर है लेकिन उसके खतरे भी हैं.अभिवयक्ति के खतरे तो उठाने ही होंगे.राजधानी में हुए ब्लोगेर्स मिलन में यह बातें निकल कर सामने आयीं.विषय परिवर्तन करते हुए ब्लागर व पत्रकार विष्णु राज गढ़िया ने कहा कि नेट पर निसंदेह ख़बरों और विचारों का एक बूम है . अच्छे लिखने वाले भी हैं तो कहीं स्तरहीन लेखन से भी सामना होता है.ज़रुरत उसे एक सही दिशा देने क़ी है.फ़िज़ूल की बहस में पड़े बिना वैकल्पिक मीडिया की तलाश जारी है.वहीँ ब्लागर व पत्रकार देवेन्द्र गौतम ने विष्णु का समर्थन करते हुए कहा कि  वर्चुअल स्पेस भविष्य  की पत्रकारिता का वैकल्पिक माध्यम है.उन्होंने बिहार झारखण्ड में  ब्लागर्स के संगठन  पर बल दिया.ब्लागर व कवयित्री रश्मि शर्मा ने कहा क़ि सम्प्रेषण के लिए उन्होंने ब्लाग्स को चुना.बाद में लोग मिलते गए और कारवां बढ़ता गया.कवि-लेखक रणेंद्र का कहंन था क़ि ब्लाग्स महज़ स्वांत सुखाय लेखन नहीं है. वर्चुअल  जगत  इन दिनों कई बदलावों का वाहक बना.हमें उसकी ताक़त का सही इस्तेमाल करना है.ब्लागर राजीव थेपडा ने अच्छे लेखन के साथ बेहतर इंसान बनने पर जोर दिया.रंगवार्ता के संपादक अश्विनी पंकज ने कहा क़ि वर्चुअल स्पेस का हमें वाजिब इस्तेमाल करना चाहिए.ब्लागेर्स को अपनी संस्कृति, प्रकृति और प्रवृति पर विचार करना चाहिए.सही जानकारी देने की कोशिश करनी चाहिए.सामाजिक परिवर्तन में ब्लाग्स अच्छी भूमिका निभा सकता है.वहीँ ब्लागर व ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी ने ज्योतिष को विज्ञान बताया.उन्होंने कहा क़ि उनके ब्लॉग का मकसद इसी का प्रचार करना है.

मेरा हाथ, मेरा कलम बन जाओ

ब्लागर व शायर क़सीम अख्तर ने शायराना लहजे में ब्लाग्स की अहमियत पर बात कही:
मेरा मदावा-ए-गम बन जाओ
मेरा हाथ, मेरा कलम बन जाओ

उन्हीं के शहर बोकारो से आई .ब्लागर व कवयित्री रजनी नैय्यर मल्होत्रा की इस ग़ज़ल को खूब दाद मिली.
रात अभी बाकी है, चिराग सहर तक जलने दो, 
जूनून इ इश्क के मारे इन परवानों को मचलने दो...


सम्मलेन  की ख़ास मेहमान स्वप्न मञ्जूषा अदा ने कहा क़ि उनकी यह पहली ब्लाग्स मीट है.लेकिन बहुत ही सफल है.उन्होंने अपने मधुर स्वर में अपना एक गीत भी सुनाया:
दूर के ढोल सुहावन भैया, दिन-रात यही गीत गावत हैं
 फ़ौरन आकर हम तो भैया बहुत बहुत पछतावत हैं .

कार्यक्रम का संचालन शहरोज़ कमर ने और धन्यवाद ज्ञापन नदीम अख्तर ने किया.
इस अवसर पर अरुण कुमार झा, कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव  निरंकुश, दिलीप तेतरवे, आरती, संजय कृष्ण, दयानंद  और नवीन शर्मा आदि मौजूद थे.











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17 comments: on "ख्यालों की बारिश में भीगी ब्लागर्स मीट"

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़ि‍या.....इस आयोजन के लि‍ए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया शहरोजी जी...

उम्मतें ने कहा…

हमारा ख्याल था कि ब्लॉगर अदा अफ्रीका के जंगलों में किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में मौजूद हैं इसीलिए ब्लाग जगत से गुमशुदा हैं पर आप लोगों ने उन्हें रांची में कैसे घेर लिया :)

अच्छा लगा आपकी रिपोर्टिंग पढ़ कर , आप सब के लिए नेक ख्वाहिशात और दुआयें !

rashmi ravija ने कहा…

इस सफल आयोजन के लिए बधाई...बढ़िया रपट

vandana gupta ने कहा…

अच्छा तो अदा जी आ चुकी हैं………सुना तो था कि आने वाली हैं मगर यहाँ तो गुपचुप मीट भी कर ली……………मगर हमे अच्छा लगा इस आयोजन के बारे मे जानकर …………हम भी चाहेंगे कि अदा जी दिल्ली आयें तो सबसे जरूर मिलें। आयोजन की सफ़लता के लिये बधाई।

उम्मतें ने कहा…

दुआएं !


मेरी पहली टिप्पणी कहाँ उड़ गयी :)

شہروز ने कहा…

साथियों आप लोगों के कमेंट्स खुदबखुद गायब हो रहे हैं...पता नहीं.मैं उन्हीं दुबारा लिख रहा हूँ.
वंदना जी ने लिखा:

अच्छा तो अदा जी आ चुकी हैं………सुना तो था कि आने वाली हैं मगर यहाँ तो गुपचुप मीट भी कर ली……………मगर हमे अच्छा लगा इस आयोजन के बारे मे जानकर …………हम भी चाहेंगे कि अदा जी दिल्ली आयें तो सबसे जरूर मिलें। आयोजन की सफ़लता के लिये बधाई।
अली साहब कहते हैं:
हमारा ख्याल था कि ब्लॉगर अदा अफ्रीका के जंगलों में किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में मौजूद हैं इसीलिए ब्लाग जगत से गुमशुदा हैं पर आप लोगों ने उन्हें रांची में कैसे घेर लिया :)

अच्छा लगा आपकी रिपोर्टिंग पढ़ कर , आप सब के लिए नेक ख्वाहिशात और दुआयें !
उनके कमेन्ट लुप्त हुए तो लिखा:
दुआएं !

मेरी पहली टिप्पणी कहाँ उड़ गयी :)
संगीता स्वरुप जी ने लिखा:
बढ़िया रिपोर्ट ..

شہروز ने कहा…

पता नहीं क्यों स्पैम में स्वत: चली गयी थी...पुन:प्रकाशित करना पड़ा.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत बढिया मीट, शुभकामनाएं।

kshama ने कहा…

Bada achha laga is meet ke bareme padhke!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ब्लॉगिंग का यही माहौल बना रहे।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

oh....to yahaan belaagaron kee meet(machhali)ho gayi....hamen to lagaa tha ki milne-julne ka koi programme hoga....acchhaa hua jo ham vahaan nahin gaye,balki apni carbon copy ko bhej diyaa thaa....hi...hi...hi...hi....sabko thag liyaa naa is bhootnaath ne....!!!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

शुक्रिया शहरोज़ जी , कार्यक्रम को सफल बनाया आपने ......

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छा लगा आप सबों से मिलकर ..
सफल आयोजन के लिए आपको बधाई !!

Atul Shrivastava ने कहा…

बढिया आयोजन के लिए बधाई।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

blogging ke duniya ke log ab real me bhi mil rahe hain.... achchha lagta hai:0

Manish Kumar ने कहा…

मुझे तो किसी ने बताया ही नहीं। राँची में राँची के ब्लागर्स तक ही ख़बर नहीं पहुँचती ये भी खूब है।

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