बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

झारखंड बनने के बाद 3 लाख बेटियों का पलायन

रांची। दस वर्षीया गुरबारी और 16 वर्षीया देवंती उन 10 सौभाग्यशाली झारखंडी बेटियों में से हैं, जिन्हें दिल्ली से छुड़ाकर 14 अप्रैल को रांची ले आया गया। लेकिन राजधानी से लगे प्रखंड चान्हो की 72 बेटियों की किस्मत ऐसी नहीं। वे आज भी दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में दो जून की रोटी के लिए यातना भरी जिंदगी जीने को बेबस हैं। अगर एक स्वयंसेवी संस्था की...
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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

अहले नज़र समझते हैं उसको इमाम इ हिंद

बेहद महत्वपूर्ण व्यक्तित्व .  भारतीय प्राचीन मानस में श्रधेय आज समूचा  राष्ट्र उनका जन्मोत्सव मना  रहा है.सभी को हार्दिक शुभकानाएं! पढ़ें मुल्क की गंगा जमुनी संस्कृति को समर्पित यह पुरानी पोस्ट  मुसलमान हुए जब रामभक्त...
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रविवार, 3 अप्रैल 2011

ख़ुशी मिली इतनी कि मन में न समय समाय

धोनी के शहर में ऐसे मना जश्‍न आखिर सपना सच हुआ! मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में झारखंड के सपूत ने लगाया जीत का छक्का तो रांची झूम उठी। चिल्लाई, माही तूने रख ली धरती आबा की लाज! भारतीय सेना के इस सेनापति की अभी नगर वापसी नहीं हुई है। लेकिन विजयोल्लास की चांदनी से समूची राजधानी झिलमिल कर रही है। डोरंडा, बरियातू, मेन रोड, अलबर्ट एक्का चौक, शहीद चौक,...
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