
हौसले की उड़ान
शहर की ताकतवर महिलाओं में शुमार कुरैश मोहल्ला, आजाद बस्ती , रांची की नाजिया तबस्सुम उन सब की आवाज बनकर मुखर हुई है, जिनके लब पर बरसों से ताले जड़े हुए थे। इस युवा लड़की की बेबाकी ,ऊर्जा,साहस...
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जादूई चमत्कार की तरह शिखर पर पहुंची तस्लीम राहत के अलावा सफलता के सोपान चढ़ती शहर की कहकशां नाज़ ऐसी मिसाल है,जिसके साहस और परिश्रम ने सारे उल्टे पहाड़े सीधे कर दिये हैं । आत्मनिर्भरता की इबारत रचती इसकी उड़ान औरों के हौसले को भी जान बख्श रही है। मां पिता के देहांत के बाद...
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हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव ने साबित कर दिया है कि बिहार में बदलाव की लहर चल पड़ी है। इसकी तेज और मंद गति को लेकर बहस संभव है। लेकिन इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनकर आए 19 मुस्लिम विधायकों में से ज्यादातर उच्च शिक्षा प्राप्त हैं,साथ ही इनकी औसत उम्र 45 साल है। इनमें डॉक्टर, वकील और पीएचडी धारी भी हैं । 14 विधायक तो पहली बार विधानसभा...
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बिहार में मुसलमानों की आबादी सोलह प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन बिहार विधान सभा में उनका प्रतिनिधित्व महज 6.58 ही रहा। लेकिन इस बार यह प्रतिशत ज़रा बढ़ा है। पिछले विस में जहां मुस्लिम विधायक सोलह थे आज की अप्रत्याशित जीत में वह 20 हो गए हैं। आबादी के लिहाज से देखें तो कम-से-कम बिहार विधान सभा में 38 से 40 मुसलमान प्रतिनिधियों को पहुंचना चाहिए,...
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मौका मिला तो झारखंड के लिए जरूर गाऊंगा। मुझे तो रांची के लोगों का प्यार यहां खींच लाया। येबातें प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह ने दैनिक भास्कर के लिए ली गयी एक खास मुलाकात में कहीं। बश्शास चेहरे पर आई स्मित मुस्कान से सफ़र की थकान गायब थी। जब हमने उनके जवानी के उबाश दिनों को हौले से सहलाया तो उनकी गंभीरता में अनायास ही बालसुलभ मस्तीभरी...
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सैयद एस क़मर की क़लम से
जमशेदपुर से लौटकर
जमशेदजी टाटा ने जब कोल्हान के इस अनाम सी जगह में इस्पात काररखाने की बुनियाद डाली तो हिदुस्तान के कोने- कोने से लोग आये। बंगाली,मराठी,कन्नड़,तेलुगु,मलयाली,मुस्लिम,हिदू,सिख,ईसाई और पारसियों का कुनबा। रंग-बिरंगे फूलों की चटख दूर तक महसूस की जाती थी। बीच में सन 54,79 और...
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सैयद एस क़मर की कलम से
राम को इमाम ए हिंद कहने वाला पहला व्यक्ति मुसलमान था। सभी जानते हैं उस उर्दू शायरको , उसी ने कहा था, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा । लेकिन इकबाल से बहुत पहले और बाद में भी अनगिनत मुस्लिम कवि,संपादक और अनुवादक हुए, जिन्होंने मर्यादापुरुषोत्तम राम पर केन्द्रित रचनाओं का ...
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शेली खत्री की क़लम से
चुनाव प्रक्रिया मांग रहा सुधार भारतीय राजनीति से नीति शब्द काफी पहले ही हट गया है। मौजूदा राजनीति के लिए स्वार्थ नीति, कुचक्र नीति आदि नाम दिए जाते हैं। हालत यह है कि अच्छे लोग राजनीति से दूर रहना पसंद करते हैं। देश का युवा वर्ग राजनीति से अपना दामन बचाने की हर संभव कोशिश...
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है आबिदों को त'अत-ओ-तजरीद की ख़ुशी
और ज़ाहिदों को ज़ुहद की तमहीद की ख़ुशी
रिंद आशिक़ों को है कई उम्मीद की ख़ुशी
कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
पिछले पहर...
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मीरा कुमारी की क़लम से
क ल तक समाज के जिस वर्ग को घृणा और तिरस्कार की नज़रों से देखा जाता था, आजादी के वर्षों बाद तक जिसे अछूत मानकर लोग किनारा कर लिया करते थे, आज उसी वर्ग की सुनीता केरी के घर राहुल गांधी जैसे छोटे-बड़े...
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अमलेंदु उपाध्याय की क़लम से कांग्रेस के साथ आरंभ से दिक्कत यह रही है कि वह किसी भी मुद्दे पर कोई भी स्टैण्ड चुनावी गुणा भाग लगाकर लेती है और अगर मामला गांधी नेहरू खानदान के खिलाफ न हो तो उसे पलटी मारने में तनिक भी हिचक नहीं होती है।...
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उड़ीसा से छत्तीसगढ़ तक वेदांता की ख़ूनी रेल
सैयद एस क़मर की कलम से
यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है जिसमें एक कुली मजदूर किस तरह रातों रात खरब पति बन जाता है,यह कहानी वेदांता जैसी कंपनी के मालिक की है, जिसकी छवि...
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