है आबिदों को त'अत-ओ-तजरीद की ख़ुशी
और ज़ाहिदों को ज़ुहद की तमहीद की ख़ुशी
रिंद आशिक़ों को है कई उम्मीद की ख़ुशी
कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है
पीर-ओ-जवान को नेम'तें खाने की धूम है
लड़को को ईद-गाह के जाने की धूम है
कल्ला किसी का फूला है लड्डू की चाब से
चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से
फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में ग़त के ग़त
आशिक़ मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट
काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी
पिशवाज़ें सुर्ख़ सौसनी लाही की फुल-झड़ी
कुर्ती कभी दिखा कभी अन्गिया कसी कड़ी
कह "ईद ईद" लूटेन हैं दिल को घड़ी घड़ी
रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल
पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफ़ेद लाल
दिल क्या के हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल
जो जो के उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह
जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह
तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह
मयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह
रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर
तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर
सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियाँ "नज़ीर"
[आबिद=श्रद्धालु; त'अत=श्रद्धा,ज़ाहिद=पूजा करने वाला; ज़ुहद की तमहीद=धर्म की बात की शुरुआत,पीर=पुराना; नेम'त=इनाम/दया, ग़त =भीड़,पिश्वाज़= कुरती,हिलाल= ईद का चांद; पोशाक=कपड़े]
नज़ीर की लम्बी नज़्म ईद उल फ़ित्र से
19 comments: on "नज़ीर अकबराबादी की ईद"
ईद की मुबारकबाद ..परसों के लिए ...गज़ल शानदार है ..
बहुत अच्छा लगा मोहतरम नजीर अकबराबादी की ईद पढ़ कर.नजीर साब गंगा जमनी संस्क्रति के सबसे बड़े और सरताज कवि गुज़रे हैं .उनके लिखे होली के मंज़र भी उतने ही खूबसूरत हैं जितनी यह ईद पर लिखी यह नज़्म . जगह जगह हिंदी गंगा जमनी संस्क्रति की झलक जो उनके लेखन में पाई जाती है , शायद ही किसी और शाएर /कवि के कलाम में मिलती हो.आपका शुक्रिया यह पोस्ट करने के लिए .मेहरबानी कर होली के पर्व पर भी नजीर साब के कलाम से पाठकों को रूबरू करें जिससे गए दिनों की मोहबतों से जयादा से जायदा लोग जानकर हो सकें .बहरहाल इस अच्छी पोस्ट के लिए थैंक्स .सबको बहुत बहुत ईद मुबारक.
मोहतरमा संगीता स्वरूप ( गीत) साहिबा बहुत बहुत ईद मुबारक .बहुत विनम्रतापूर्वक अर्ज है ,खाकसार की सोच है शायद यह नज़्म है.परतु बात विचार की है जो सराहनीय और सर आँखों पर.मेहरबानी कर अन्यथा ना लें .
Eid mubarak ho!
Waise har eid ke din mujhe Munshi Premchand kee eidgaah kahani yaad aahi jati hai!
ईद मुबारक़!
आंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
ईद की मुबारकबाद !!!!
गजल बहुत खुब सुरत लगी धन्यवाद
ईद मुबारक !!
खूब ! ईद मुबारक !
... behatreen !! ... ईद मुबारक !!!
ईद मुबारक
ईद की मुबारकबाद ..
ईद मुबारक!
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बहुत अच्छी नज़्म है...
बार बार पढ़ने को दिल करता है...
यहां पेश करने के लिए शुक्रिया...
ईद-उल-फ़ितर की मुबारकबाद.
ईद मुबारक ,शानदार पेशकश
बेहतरीन ग़ज़ल..... ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
मेरा लेख:
ईद मुबारक!
id mubarak.sabhi des basi bhaiyon ko....
ईद और गणेश चतुर्थी की बधाईयाँ.
लोकसंघर्ष परिवार की ओर से
ईद मुबारक
khoob kahi eid
eid mubarak
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न स्याही के हैं दुश्मन, न सफ़ेदी के हैं दोस्त
हमको आइना दिखाना है, दिखा देते हैं.
- अल्लामा जमील मज़हरी