बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

नज़ीर अकबराबादी की ईद
















है आबिदों को त'अत-ओ-तजरीद की ख़ुशी
और ज़ाहिदों को ज़ुहद की तमहीद की ख़ुशी

रिंद आशिक़ों को है कई उम्मीद की ख़ुशी
कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है

पीर-ओ-जवान को नेम'तें खाने की धूम है
लड़को को ईद-गाह के जाने की धूम है

कल्ला किसी का फूला है लड्डू की चाब से
चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से

फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में ग़त के ग़त
आशिक़ मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट

काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी
पिशवाज़ें सुर्ख़ सौसनी लाही की फुल-झड़ी

कुर्ती कभी दिखा कभी अन्गिया कसी कड़ी
कह "ईद ईद" लूटेन हैं दिल को घड़ी घड़ी

रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल

पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफ़ेद लाल
दिल क्या के हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल

जो जो के उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह
जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह

तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह
मयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह

रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर
तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर

सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियाँ "नज़ीर"

[आबिद=श्रद्धालु; त'अत=श्रद्धा,ज़ाहिद=पूजा करने वाला; ज़ुहद की तमहीद=धर्म की बात की शुरुआत,पीर=पुराना; नेम'त=इनाम/दया, ग़त =भीड़,पिश्वाज़= कुरती,हिलाल= ईद का चांद; पोशाक=कपड़े]

नज़ीर की लम्बी नज़्म ईद उल फ़ित्र से


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19 comments: on "नज़ीर अकबराबादी की ईद"

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ईद की मुबारकबाद ..परसों के लिए ...गज़ल शानदार है ..

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छा लगा मोहतरम नजीर अकबराबादी की ईद पढ़ कर.नजीर साब गंगा जमनी संस्क्रति के सबसे बड़े और सरताज कवि गुज़रे हैं .उनके लिखे होली के मंज़र भी उतने ही खूबसूरत हैं जितनी यह ईद पर लिखी यह नज़्म . जगह जगह हिंदी गंगा जमनी संस्क्रति की झलक जो उनके लेखन में पाई जाती है , शायद ही किसी और शाएर /कवि के कलाम में मिलती हो.आपका शुक्रिया यह पोस्ट करने के लिए .मेहरबानी कर होली के पर्व पर भी नजीर साब के कलाम से पाठकों को रूबरू करें जिससे गए दिनों की मोहबतों से जयादा से जायदा लोग जानकर हो सकें .बहरहाल इस अच्छी पोस्ट के लिए थैंक्स .सबको बहुत बहुत ईद मुबारक.

Unknown ने कहा…

मोहतरमा संगीता स्वरूप ( गीत) साहिबा बहुत बहुत ईद मुबारक .बहुत विनम्रतापूर्वक अर्ज है ,खाकसार की सोच है शायद यह नज़्म है.परतु बात विचार की है जो सराहनीय और सर आँखों पर.मेहरबानी कर अन्यथा ना लें .

kshama ने कहा…

Eid mubarak ho!
Waise har eid ke din mujhe Munshi Premchand kee eidgaah kahani yaad aahi jati hai!

राज भाटिय़ा ने कहा…

ईद की मुबारकबाद !!!!
गजल बहुत खुब सुरत लगी धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

ईद मुबारक !!

उम्मतें ने कहा…

खूब ! ईद मुबारक !

कडुवासच ने कहा…

... behatreen !! ... ईद मुबारक !!!

S.M.Masoom ने कहा…

ईद मुबारक

ρяєєтii ने कहा…

ईद की मुबारकबाद ..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ईद मुबारक!


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बहुत अच्छी नज़्म है...
बार बार पढ़ने को दिल करता है...
यहां पेश करने के लिए शुक्रिया...
ईद-उल-फ़ितर की मुबारकबाद.

अजय कुमार ने कहा…

ईद मुबारक ,शानदार पेशकश

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल..... ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!



मेरा लेख:
ईद मुबारक!

Ranjeet jha ने कहा…

id mubarak.sabhi des basi bhaiyon ko....

अंजना ने कहा…

ईद और गणेश चतुर्थी की बधाईयाँ.

Randhir Singh Suman ने कहा…

लोकसंघर्ष परिवार की ओर से
ईद मुबारक

Khare A ने कहा…

khoob kahi eid

eid mubarak

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- अल्लामा जमील मज़हरी

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