
बीसवीं सदी की कहानियों का कई खंडों में संचयन करने के कारण चर्चित हुए, महेश दर्पण बहुत ही सुघड़ कथाकार भी हैं.गुन्जेश की कहानी पढ़ते हुए मुझे अनायास ही उनकी याद आ गयी.उनके कथा-तत्त्व भी कुछ इसी तरह के होते हैं.बिलकुल जाने हुए.लेकिन क्या ये कहानी भी...
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कविता का नया प्रेमी : सुधांशु फ़िरदौस
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कभी आपने कैलाश वाजपई की कविताओं को पढ़ा है.रहीम, खुसरो , जायसी और नानक के दोहों के साथ उतरे-डूबे हैं.यदि ऐसी पृष्ठ भूमि में मुक्तिबोध और निराला के दिग्दर्शन...
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भड़ास! नाम का एक ब्लॉग है और काफ़ी चर्चित भी.जिस किसी ने ये नाम रक्खा है कितना मौजूं है.दरअसल हम सब यहाँ अपनी-अपनी भड़ास ही तो निकालते हैं.जब कोई मंच न रह गया हो और अधिकाँश पत्र-पत्रिकाएं और चैनलों की रहबरी बाज़ार करे तो ये गूगेल महाराज की कृपा से ब्लॉग अच्छा माध्यम बन जाता है.कभी लघु-पत्रिकाओं ने अच्छा वैकल्पिक मंच उपलब्ध कराया था।
खैर। पिछले दिनों...
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