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जलते सवाल
देशभक्तों ज़रा इधर भी देखो!
चाँद की फ़िज़ा में खुशबू
किसी एक मुसलमान के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने पर पानी पीपी कर सारे मुसलामानों को आतंकवादी बताने वाले देशभक्तों क्या आपने कभी ऐसे लोगों पर भी नज़र-ऐ-इनायत की है।
पाठको, सम्भव है किसी भी खबरिया ने अमरोहा की
खुशबू मिर्ज़ा पर कोई फीचर नहीं दिखाया होगा.हाँ मैं उस लड़की का ज़िक्र कर रहा हूँ जो चंद्रयान-१ के मिशन में शामिल बारह लोगों में एक है.खुशबू गत सालभर से इस टीम में है.उसका काम चंद्रयान की उड़ान भरने से पहले भी था और उसका काम चंद्रयान उपग्रह में लगने वाले विभिन्न पेलोड की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली की टेस्टिंग और मानिटरिंग है.इस समय वो हरिकोटा में ही है।
महज़ २३ साल की ये लड़की कमाल अमरोही के शहर के मोहल्ला चाहगौरी के स्व.सिकंदर मिर्जा की बेटी है.उसने अलीगढ मुस्लिम विश्व विद्यालय (जामिया मिल्लिया की तरह इसे भी आतंकवादियों की शरणस्थली बताया जाता रहा है!) से बीटेक इलेक्ट्रानिक्स की पढ़ाई की.९६ फीसदी अंक पाकर उसने गोल्ड मैडल हासिल किया.उसका चयन टीसीएम अकेंटरी और अडोब जैसी कंपनियों में भी हो गया था लेकिन उसने वहाँ जाने से इनकार कर दिया।
मुझको जाना है अभी ऊंचा हद-ऐ-परवाज़ से
नवम्बर २०६ में उसका चयन इसरो में बतौर वैज्ञानिक हो गया.और उसकी अम्मी फ़रहत मिर्ज़ा खुश हो हुईं।
वो अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी अम्मी को ही देती है.साथ ही भाई और छोटी बहन की हौसला अफज़ाई को.
(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)
17 comments: on "देशभक्तों ज़रा इधर भी देखो!"
खुशबू की खुशबू चांद पर भी फैले ।
धन्यवाद .....
शहरोज़ भाई,संजीव ने सही कहा,खुश्बू की खुश्बू चांद पर भी फ़ैले और आपकी भी हर कोशिश कामयाब हो। बहुत अच्छी और प्रेरक पोस्ट्।बधाई आपको।
अच्छी खबर देने के लिये शुक्रिया। कुछ बददिमागों के कारण मन में कड़वाहट रखने की कहां जरूरत है। दोस्त दुनिया से बड़ा कोई आईना नहीं, यह देखने वाले पर है कि वह क्या देखना चाहता है।
मैं समझता हूँ, जो आतंक की राह पर चले है वे देखे की कैसे युवक देश की सेवा कर रहे है, और जो आगे बढ़ना चाह रहे है उनके लिए देश में मौको की कमी नहीं हैं. कलाम को कौन सर आँखों पर नहीं बैठाता?
हमने खुशबु के बारे में पढ़ा था शायद हिन्दुस्तान में.
ये ख़बर इन्टरनेट पर लेन के लिए शुक्रिया.
काश हमारे सभी युवा ऐसे होनहारों से प्रेरणा लेते
आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है...शुक्रिया...
बहुत अच्छा प्रेरणा दायक लेख लिखा शहरोज भाई !धन्यवाद !
शहरोज़ भाई, प्रेरणाप्रद पोस्ट। खुशबू की खुशबू चहूँ दिशा में फैले इन्हीं कामनाओं के साथ..........
जो अच्छा काम करते हैं उनके प्रशंशक और हिमायती सारा जमाना होता है.आज शाहरूख, सलमान, कलाम,सानिया हों या कबीर, मीर ,ग़ालिब,अकबर,रजिया तथा इन जैसे अनेकों हर कोई इनके लिए श्रद्धा रखता है.किसी भी धर्म का अनुयायी अपने,अपने परिवेश के या वतन की तरकी के लिए कुछ सार्थक करने का रास्ता चुन सकता है और उसपर चल कर सबके आंखों का नूर हो सकता है. .
इन्सान सिर्फ़ दो किस्मों के होते है अच्छे ओर बुरे .....ओर हौसलों का कोई मजहब नही होता ....
शहरोज भाई खुशबू तो खुशबु है उसे भी हिंदु मुसलमान मैं बांट दिया...मुसलमान सभी आतंकवादी नहीं होते हैं ....पर ऐसा लिख लिख कर क्यों ऐसा बताना चाहते हैं कि मुसलमान के बारे मैं सोचने से पहले आतंकवादी के बारे मैं सोचे ...ये पूर्वाग्रह छोङें.....मुसलमान भी इस देश का देशभक्त नागरिक ही हैं....पर यूं कहकर इस्लाम को आतंकवाद से न जोङें
शहरोज भाई इस देश को आजाद करवाने मै मुसलमानो का भी उतना ही हाथ है जितना दुसरे लोगो का, फ़िर आप अपने को अलग क्यो दिखाना चाहते हॊ, हां कुछ आतांकवादी है आप के धर्म से लेकिन सब मुसलमान ऎसे तो नही क्यो बार बार लोगो का ध्यान इन शव्दो से अपनी ओर खीचना चाहते हो, भाई आप लोग कही बाहर से नही आये , ओर आप अपने ही हो , ओर खुशबु जो कर रही है, वह अपने देश के लिये कर रही है, ओर हमे अन्य बच्चियो की तरह से इस बच्ची पर भी मान है,मत लाओ बार बार अतांकवादियो का नाम अपनी जुवान पर, यह देश मेरा भी उतना ही है जितना आप का आओ इसे मिल कर सवारें, ओर खुशबु की खुशबु पुरे भारत मै फ़ेले ओर यह दुनिया मै अपने देश का नाम रोशन करे, आप का धन्यवाद
You have got a good blog Shahroz Sb. Strange that I couldn't find it earler.
शहरोज भाई खूबसूरती को दिखने के लिए बदसूरती की चर्चा करना जरुरी नहीं, लेकिन दिल है कि मानता नहीं ..मैं आपसे सहमत हूँ....!!! आपके जैसे सोच की मशाल लिए खड़े लोगों की संख्या अधिक है...इसलिए चिंता न करें. इस पोस्ट की भांति ऐसे जुगनुओं को ढूंढ़ कर सबके सामने दैदीप्यमान करिये...! इंशाल्लाह ..उनका हौसला जमींदोंज हो जाएगा.
जिस तरह कोई भी महजब आतंक की इजाज़त नहीं देता, उसी तरह कोई भी मज़हब वतनपरस्ती से भी नहीं रोकता. मिशाल के रूप में इतनी शानदार पोस्ट देने के लिए शुक्रिया
Thanks for spreading such good information,please keep writing about such things.
वाकई एक अच्छी खबर!
शुक्रिया!
शुभकामनाएं उन्हें
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- अल्लामा जमील मज़हरी