बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

बुधवार, 23 जुलाई 2008

ख़तरे में इस्लाम नहीं

________________________________________________ आजकल कुछ ब्लॉग पर मुस्लिम रचनाकारों पर साम्प्रदायिक होने के आरोप -प्रत्यारोप ज़ोर-शोर से पढनेको मिले. दोस्तों-दुश्मनों के गलयारे में भी गाहे-बगाहे समय-समय पर ऐसे इल्जामों का सामना मुस्लिम लेखक-कवि अक्सर...
read more...

रविवार, 20 जुलाई 2008

प्रज्ञा राठौर की कहानी

__________________________________________________ नए लिखने वाले कथाकारों में मुझे प्रज्ञा ने प्रभावित किया .ये वे लोग हैं जो कहानी के वर्तमान-परिदृश्य से लगभग अनजान हैं।लेकिन इनमें भरपूर संभावनाएं हैं.सोचने-विचारने और कहने का इनका एक अपना अंदाज़ है। प्रज्ञा...
read more...

शनिवार, 12 जुलाई 2008

कविता:अरविन्द व्यास प्यास

__________________________________________________ क्या कहते हैं अपने बारे में अरविन्द व्यास नाम है, प्यास तख़ल्लुस है । 1979 में M.Tech. किया था भोपाल M.A.C.T से । कल्यान महाराष्ट्र में जन्मा हूँ , मथुरा , राजस्थान से, वांशीक सम्बन्ध हैं , साहित्यकार...
read more...

सोमवार, 7 जुलाई 2008

सरहद पार से : किश्वर नाहिद की नज़्म

____________________________________________________________ उर्दू की इस ख्यात पाकिस्तानी कवयित्री का जन्म दिल्ली से कुछ ही फासले पर स्थित उत्तर प्रदेश के शहर बुलंद यानी बुलंदशहरमें आज़ादी से सात साल क़ब्ल 1940 में हुआ .बँटवारे की त्रासदी ने इन्हें...
read more...

बुधवार, 2 जुलाई 2008

आलोक प्रकाश पुतुल की कविता

_________________________________________________________ पिछले 19 सालों से पत्रकारिता के पेशे में। ग्रामीण पत्रकारिता और नक्सल आंदोलन में कुछ शोधपरक काम. कविताई कभी-कभार .ज्यादातर छद्म नामों से कवितायेँ प्रकाशित .दरअसल जब भी इनके साहित्यिक परिशिष्ट...
read more...
(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)