
ज़ाकिर हुसैन की क़लम से
तीन कविता एक ग़ज़लनुमा
1.
सुनो!
मन
व्यथित है
इन दिनों।
वे
हिन्दी फिल्मों की तरह
धीरे-धीरे
'सब्जैक्ट की डिमांड' के नाम पर
'लोकतांत्रिक स्क्रीन' में
'राजनीतिक नग्नता'
परोसते जा रहे हैं
और
इसी क्रम में
अब...
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5 नज़्म और 6 ग़ज़ल
सलमान रिज़वी की क़लम से
नज़मेंराम कहते रहे किसने क्या कर दियाराम आये नगर में तो ये हलचल देखीजिस शक्ल को पढ़ा उसपे ख़ुशियाँ देखीशोर नारों से बचकर वो चलते रहेहर घड़ी कुछ सवालों को बुनते रहे क्या हुआ...
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रूखी-सुखी यानी पश्चिमी निमाड़ में अकाल: आदिवासियों का अनुभव
दीपाली शुक्ला की मेल से एकलव्य से प्रकाशित रूखी-सुखी किताब पश्चिमी निमाड़ के आम लोगों के अकाल के अनुभवों का एक अनूठा दस्तावेज़ है। इसमें दी गई जानकारी...
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