
फोटो संजय कपरदार
चार किमी की नदी यात्रा ने बताया कैसे राँची को कभी नमी देने वाली नदी हरमू हो रही है अब गुम
सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से
मां कभी अपने बच्चों के लिए बददुआ नहीं कह सकती। भले, उनके लाडले उनका...
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कुलदीप
अंजुम की क़लम से
1.शांति
इतिहास में
अहिंसा अपंगो का उपक्रम रही !
अमन बुजदिलों
का हथियार
तभी तो कबूतर
जैसे
मासूम और
अपेक्षाकृत कम होशियार
परिंदे को बनाया गया शांति...
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उपेक्षित हैं मलयाली सिनेमा के ओबीसी पिता जेसी डेनियल
अश्विनी कुमार पंकज की क़लम से
क्या भारतीय सिनेमा के सौ साल में पीके रोजी को याद किया जाएगा? सिनेमा का
जो इतिहास अब तक पेश किया जा रहा है उसके मुताबिक तो...
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कल्याणी कबीर की क़लम से
वो क़लम जो उगलती है आग कागजों पे . दिलाती है ये उम्मीद कि बाकी है इंसानियत आतंक बोने वाले लकड़बग्घों पे चीखती है जो , देती है जवाब रज़िया के बदन पर फिसलती ओछी नज़र को .
वो कलम जो भूखी रहकर भी दूसरों की...
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