
ध्रुव गुप्ता की क़लम से
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर नक्सली हमले के बाद कुछ मित्रों के फ़ेसबुक स्टेटस देखकर ऐसा लगता है कि नक्सलियों के बारे में उनका ज्ञान किताबों पर ज्यादा आधारित है जो उन्होंने...
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शिखा वार्ष्णेय की क़लम से
संदर्भ लंदन की आतंकी घटना
अपने देश से लगातार , भीषण गर्मी की खबरें मिल रही हैं, यहाँ बैठ कर उन पर उफ़ , ओह , हाय करने के अलावा हम कुछ नहीं करते, कर भी क्या सकते...
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रश्मि शर्मा की क़लम से
संदर्भ झारखंड उर्फ़ गाँव की गलियाँ
नदियां जीवनदायिनी हैं। हमारे अस्तित्व की पहचान भी। सरकार कभी नदियों को जोड़ने के फिराक में रहती है तो कभी बांटने के। नदियों...
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धीरेन्द्र सिंह की क़लम से
मेरी बात की बात कुछ भी नहीं है
कहूँ क्या सवालात कुछ भी नहीं है
तुम्हारी नज़र में ये दुनिया है सब कुछ
हमारे ये हालात कुछ भी नहीं है?
गमे- ज़िन्दगी में अगर तुम जो हो तो
सितारों की सौगात कुछ भी नहीं...
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आशीष मिश्रा की क़लम से
हादसों की गूँज में इंसान का मातम
इन हाथों का काम ही क्या है? सुबह उठकर अखबार की पोथी थाम लेते हैं। चश्मा
आगे पीछे खिसका कर देखते हैं। कसमसाते हुए पढ़ते हैं, दिल्ली में बस में रेप...
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