
कमलेश सिंह की कलम से
Fear, Oh Dear!
मैं तो बस आप ही से डरता हूँ.
मैं कहाँ कब किसी से डरता हूँ.
मेरी दुनिया है रोशनाई में,
इसलिए रौशनी से डरता हूँ
बहर-ए-आंसू हूँ...
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क़मर सादीपुरी की कलम से
1.
ये निजाम क्या निजाम है।
न ज़मीन है, न मकान है।
झूठा, चोर, बेईमान है।
कोहराम है, कोहराम है।
सच को मिलती है सज़ा
अदालत भी उगलदान है।
दिल किस क़दर है बावफा
तुझे इल्म है, न गुमान...
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