
हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया....
सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से
सितम्बर की कोई तारीख. साल २००८.रायपुर को मैं अलविदा कर चुका था. देशबंधु
के प्रबंधन से ऊब थी, वहीँ दिल्ली आकर कुछ अलग कर गुजरने का ज्वार रह-रह कर
उबल...
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सुरजीत पातर मार्फ़त ऋतु कलसी
पाश के बाद पंजाबी कवि सुरजीत पातर सबसे ज्यादा पढ़े गए हैं. उनके लबो लहजे
की ताजगी दायम है आज भी. जालंधर, पंजाब के एक गांव में १४ जनवरी 1944...
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ऐसा नहीं कह सकते कि थिएटर दम तोड़ रहा
विभा रानी
सैयद शहरोज़ कमर से संवाद
लेखक किसी किरदार को जीता है..उसे किसी चित्रकार सा कागज़ ए कैनवास पर
उतारता है..लेकिन लेखक ही उस किरदार को अपने अभिनय में डूबती आँखों जीवंत
कर...
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यूँ उड़तीं धरती आबा के सपनों की किरचियाँ
फोटो गूगल से साभार
सैयद शहरोज़ क़मर की क़लम से
उन्नीसवीं सदी के अंत में झारखंड के पहाड़ी इलाके में एक क्रांतिकारी
युवा ने अपने राज का बिगुल फूंक दिया...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)