
केदारनाथ अग्रवाल की कलम से
हमको,
तुमको,
एक-दूसरे की बाहों में
बँध जाने की
ईद मुबारक।
बँधे-बँधे,
रह एक वृंत पर,
खोल-खोल कर प्रिय पंखुरियाँ
कमल-कमल-सा
खिल जाने की,
रूप-रंग से मुसकाने की
हमको,
तुमको
ईद मुबारक।
और
जगत के
इस जीवन के
खारे पानी...
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बाबुषा कोहली की कवितायें
कुरआन की पहली आयत
"सब खूबियाँ अल्लाह को,मालिक जो -सारे जहां वालों का ;सारी तारीफें तेरी ही हैं ! "यही है न ,कुरान की ,पहली आयत !मेरे मौला,मेरे मालिक -तेरी ही...
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1मुझसे इतना भी हौसला न हुआ
जब बुरा बन गया, भला न हुआ
ज़ख्म के फूल अब भी ताज़ा हैं
दूर होकर भी फासला न हुआ
तेरी आहट क़दम-क़दम पर थी
ज़िंदगी में कभी खला न हुआ
होने वाली है कोई अनहोनी
वक़्त पर एक फ़ैसला न हुआ
रेज़ा-रेज़ा...
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