बहुत पहले कैफ़ी आज़मी की चिंता रही, यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलताइससे बाद निदा फ़ाज़ली दो-चार हुए, ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलताकई तरह के संघर्षों के इस समय कई आवाज़ें गुम हो रही हैं. ऐसे ही स्वरों का एक मंच बनाने की अदना सी कोशिश है हमज़बान। वहीं नई सृजनात्मकता का अभिनंदन करना फ़ितरत.

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

अलविदा झारखंड! लिखेंगे केरल में नया कालखंड

34वें नेशनल गेम्स का रंगारंग समापन  याद आते रहेंगे ये पल सैयद शहरोज कमर की कलम से   अलविदा झारखंड! लिखेंगे केरल में नया कालखंड के उद्घोष के साथ 34वें नेशनल गेम्स का शनिवार को बिरसा मुंडा स्टेडियम में रंगारंग समापन हो गया। शुरुआत यों हुई कि गोधुली बेला के शाम में तब्दील होने के साथ टीवी की नामचीन सितारा रख्शंदा खान की मखमली आवाज गूंजी, जोहार...
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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

रिसालदार बाबा का नाम दरबारी खान तो नहीं!

खंगाला इतिहास, पहली बार सैयद शहरोज कमर की कलम से  देश की  महान सूफी परंपरा में सम्मामित मशहूर वली संत रिसालदार बाबा के  अकीदतमंदों में शुमार गुल्फाम मुजीबी, चेयरमैन राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने चौंकाने वाली जानकारी दी है। उन्होंने कहा की  आज हजरत कु तुबुद्दीन के  नाम से जाने जाने वाले19वीं सदी के  पहले दशक के  ख्यात...
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रविवार, 13 फ़रवरी 2011

आधी आबादी की मुकम्मल उड़ान

पंचायत परिषद की पहली राज्यस्तरीय बैठक में शामिल होने रांची आईं महिला पंचायत प्रतिनिधियों से मिलने के बाद बरबस एक पंक्ति गूंज उठती है, ‘परिंदों को मिलेगी एक दिन मंजिल, यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं’। ओरमांझी के हेंदबली की मुखिया शीला देवी अपने इलाके में बिजली लाना चाहती हैं, ताकि रोशन हो सके पांच हजार लोगों का घर संसार। खड़िया से बच्चे साफ साफ लिख...
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(यहाँ पोस्टेड किसी भी सामग्री या विचार से मॉडरेटर का सहमत होना ज़रूरी नहीं है। लेखक का अपना नज़रिया हो सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान तो करना ही चाहिए।)