आर चेतनक्रांति की नई रचना
बस एक जिद है कि मरते नहीं, मरेंगे नहीं ये एक अंधी सी जिद हैकि जिसकी आँख नहीं ये बहरी भी है, ये गूंगी भी और लंगडी भींन इसका दोस्त है कोई, न कोई हमराही.न ये खाने के लिए कहती हैन पीने को .ये अपना गोश्त चबाती है और जीती हैये एक जिद है जो अपने में इतनी पूरी है कि जब रुके तोअपने दर्द के ईंटों से घर उठाके रुके औजब चले तो उसी दर्द की बैसाखियाँ बनाके चले।(आरकुट के स्क्रेप से )
3 घंटे पहले
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न स्याही के हैं दुश्मन, न सफ़ेदी के हैं दोस्त
हमको आइना दिखाना है, दिखा देते हैं.
- अल्लामा जमील मज़हरी