tag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post5611925172621966719..comments2024-01-19T00:54:02.839-08:00Comments on Hamzabaan हमज़बान ھمز با ن: अब पत्रकार निशाने परUnknownnoreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-84110878978175416252008-10-21T21:13:00.000-07:002008-10-21T21:13:00.000-07:00koi kuchh nahi kar sakta...logon ko bhukh aam rojm...koi kuchh nahi kar sakta...logon ko bhukh aam rojmarra ki jaruraton se bhulane ka isase achha tarika or kya ho sakta hai ki unke wyaktigat ladaai or kuntha ko kisi dange ki aad me nikalwao kyunki isase we tumse roti or nokari nahi mangenge or tum apne rangmahalo me chain se so sakoge...ek sonchi samjhi rananiti ke tahat capitalist or fundamentalist forces kam kar rahi hai...or ham hijron ki tarah dekh rahe hai...mujhe muktibodh yad aata hai???<BR/>...sukomal kalpnik tal par nahi hai dwand ka uttar...सुधांशुhttps://www.blogger.com/profile/10887998724773697326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-28525924223486037152008-10-21T21:09:00.000-07:002008-10-21T21:09:00.000-07:00koi kuchh nahi kar sakta...logon ko bhukh aam rojm...koi kuchh nahi kar sakta...logon ko bhukh aam rojmarra ki jaruraton se bhulane ka isase achha tarika or kya ho sakta hai ki unke wyaktigat ladaai or kuntha ko kisi dange ki aad me nikalwao kyunki isase we tumse roti or nokari nahi mangenge or tum apne rangmahalo me chain se so sakoge...ek sonchi samjhi rananiti ke tahat capitalist or fundamentalist forces kam kar rahi hai...or ham hijron ki tarah dekh rahe hai...mujhe muktibodh yad aata hai???<BR/>...sukomal kalpnik tal par nahi hai dwand ka uttar...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-91126567141931381042008-10-18T23:48:00.000-07:002008-10-18T23:48:00.000-07:00ये बात तो कुछ इसी तरह की हो गई शहरोज भाई,ये कश्मकश...ये बात तो कुछ इसी तरह की हो गई शहरोज भाई,<BR/><BR/>ये कश्मकश की जंग है <BR/>मैं इधर भी मैं उधर भी हूँ <BR/>कर तलाश थक चुका जिसे <BR/>वह इधर भी वह उधर भी हैसमीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-68800905818516239482008-10-15T10:13:00.000-07:002008-10-15T10:13:00.000-07:00एक शेर आपकी पोस्ट को समर्पित करता हूं किकाश तुम ये...एक शेर आपकी पोस्ट को समर्पित करता हूं कि<BR/>काश तुम ये जानते कि शहर अंधा हो गया<BR/>दरपणों की फेरियां अब तो लगाया ना करो<BR/>--योगेन्द्र मौदगिल<BR/>yogindermoudgil.blogspot.com<BR/>kalamdanshpatrika.blogspot.com<BR/>haryanaexpress.blogspot.comयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-3810714241027724582008-10-13T04:50:00.000-07:002008-10-13T04:50:00.000-07:00hum log chingari par jaa baithe hainkab koun jawal...hum log chingari par jaa baithe hain<BR/>kab koun jawalamukhi ki tarah fat padega koi nahi jaanta<BR/>aakrosh bhar raha hai bad raha hai<BR/>bhagwan mailk haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-54568795016241919982008-10-12T00:52:00.000-07:002008-10-12T00:52:00.000-07:00सारा भारत जल रहा है, दंगे फसाद रोजमर्रा की जिंदगी ...सारा भारत जल रहा है, <BR/>दंगे फसाद रोजमर्रा की जिंदगी बनते जा रहे हैं <BR/>ये कोई बड़ी साजिश है <BR/>सबको साथ मिल कर ही कम करना होगादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-27369191443863591082008-10-12T00:27:00.000-07:002008-10-12T00:27:00.000-07:00फिरकावाराना हरकतों द्वारा व्यापक स्तर पर माहौल बिग...फिरकावाराना हरकतों द्वारा व्यापक स्तर पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश शुरु हो चुकी हैं । इन ताकतों का मुकाबला मुस्तैदी से करना होगा और प्रमुख तरीका होगा देश की जनता के सामने इनके राष्ट्र-तोड़क तौर-तरीकों और मंसूबों को बेनकाब करना । आपने हिन्दुस्तान टाइम्स के अखबार नवीस की आप-बीती यहां दे कर भला किया। इनसे मुकाबले की पहली शर्त होगी - निर्भय होना ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-90732466640800329112008-10-11T01:12:00.000-07:002008-10-11T01:12:00.000-07:00भाई हम तो इतना ही कहेगे, की अब घर मै आग लगी है, जि...भाई हम तो इतना ही कहेगे, की अब घर मै आग लगी है, जितनी जल्दी हो इसे बुझाओ, सब मिल कर, ओर यह आग किसी बाहर वाले ने लगाई है, अगर वक्त रहै अभी भी न इसे काबु मे लिया तो फ़िर ..... ना हम रहेगै, ओर ना तुम ही रहोगै, यहा इस जमीं पर फ़िर से गुलाम रहै गै, ओर गुलाम का कोई धर्म नही होता, इस लिये छोडो यह धर्म की लडाई, ना आप का धर्म छोटा ना मेरा धर्म बडा, अरे हम सब एक ही दाता के है, फ़िर क्यो चिल्लते है मेरा रब बडा मेरा रब बडा, क्या पा लोगे उस रब के खिलोनो को तोड के...... मेरे रब का परचम चाहे ना लहराये, लेकिन मै उस के नाम से कभी भी खुन नही बहाऊगा , क्यो कि मेरा रब इतना कमजोर नही कि एक कपडे के टुकडे के फ़हराने से उस की वाह वाह हो जाये, ओर ना ही इतना निर्दयी है कि मासुमो के खुन से रंगी जमीन देख कर, ओरतो की आबरु लुटती देख कर, लोगो को बेघर करके खुश हो,अगर इस से मेरा दाता खुश हो तो वो मेरा दाता, मेरा रब कहलाने के काबिल नही फ़िर उस मै ओर एक शेतान मै क्या फ़र्क,<BR/>आओ हम सब मिल कर अपने अपने रब का नाम रोशन करे, उसे बदनाम ना करे, हमारे गलत काम करने से उसे ठेस पहुचती है, ओर वो हमे कभी भी माफ़ नही करेगा.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-13841010876517784892008-10-11T00:54:00.000-07:002008-10-11T00:54:00.000-07:00बिगड़ते महौल्म की सही तस्वीर पेश की हैऔर सिवा दुःख...बिगड़ते महौल्म की सही तस्वीर पेश की है<BR/>और सिवा दुःख व्यक्त करने के कोई कुछ नहीं कर पा रहा.....अपनी सोच को पुख्ता कर रहे हैं,सत्य तो रो रहा है,लाशों की ढेर पे सो रहा है !रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-71395137311302820982008-10-10T22:41:00.000-07:002008-10-10T22:41:00.000-07:00आपके जो हुआ बहुत ही दुखद घटना । भारत को जाति के ना...आपके जो हुआ बहुत ही दुखद घटना । भारत को जाति के नाम पर बाटा जा रहा है । आम इंसान को शिकार बनाया जा रहा है जो कि इन सब बातों से दूर है । आखिर क्या किया जायें।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-175538952057213852008-10-10T22:26:00.000-07:002008-10-10T22:26:00.000-07:00ब्लाग बहुत अच्छा लगा। लेकिन अपना तआर्रूफ खुद कराते...ब्लाग बहुत अच्छा लगा। लेकिन अपना तआर्रूफ खुद कराते तो बेहतर था। ये दो गुमनाम वकील क्यों लगा रखे हैं।नीलोफरhttps://www.blogger.com/profile/15699132125888610790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-52061375415306326222008-10-10T22:25:00.000-07:002008-10-10T22:25:00.000-07:00हमारा देश एक बेहद खतरनाक स्थिति में फँस चुका है, ज...हमारा देश एक बेहद खतरनाक स्थिति में फँस चुका है, जो कुछ हो रहा है अगर इस पर लगाम नही लगाई गई तो देख लीजियेगा अंजाम अच्छा नही होगा, एक तरफ़ तो बेगुनाह मारे जारहे हैं और दूसरी तरफ़ खुलेआम कत्ल-ऐ-आम करने वाले आजाद घूम रहे हैं...ये सरकार की कमजोरी है, कमजोरी कहें या शायद वो भी यही सब चाहती है, वरना इस तरह बेगुनाहों को कत्ल करने वाले कब के अपना हश्र देख चुके होते लेकिन यहाँ रूल्ज़ ही अजीब हैं...खैर ऐसे हालात में वाकई एक अल्प संखयक पत्रकार का काम जान हथेली पर लेकर करने वाला हो गया है...खुदा ही उनकी हिफाज़त करेगा...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-12736763067778363482008-10-10T22:00:00.000-07:002008-10-10T22:00:00.000-07:00भीड की कोई जात नही होती,दहशतगर्द भी बोतल मे बंद जि...भीड की कोई जात नही होती,दहशतगर्द भी बोतल मे बंद जिन्न की तरह होते है,बाहर निकल आने पर कुछ भी कर लो वापस अंदर नही जाते। ये जब-जब बाहर निकलते हैं खून ही पीते हैं और खून का तो रंग एक ही होता है ना,उन्हे क्या पता ये किसका खून है उन्हे तो खून पीने से मतलब होता है।कुछ गलत कह गया हूं तो माफ़ करना।वैसे पानी की मांग कर रहे किसानो के आंदोलन के उग्र हो जाने पर मैं लखौली गांव मे फ़ंस चुका हूं।बहुत ही कठिन होता है भीड से बचना।बस ऐसा लगता है बच जायेण तो पत्रकारिता छोड पान दूकान चला लेंगे,और हां आपने लिखा बहुत सही है,सलाम आपको।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-91909603828810840892008-10-10T21:30:00.000-07:002008-10-10T21:30:00.000-07:00पता नहीं, आपको इसमें क्यों अचरज हो रहा है. अपने आस...पता नहीं, आपको इसमें क्यों अचरज हो रहा है. अपने आसपास देखना आपने बंद कर रखा है क्या ? या देखना नहीं चाहते ? सब जगह तो एक जैसा मंजर है, हर कदम पर.....! <BR/><BR/>आलोक पुतुल<BR/>www.raviwar.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-10434187323294721662008-10-10T21:26:00.000-07:002008-10-10T21:26:00.000-07:00BHAYEE MERE AZAMGARH ME YAHEE BAT GAIR MUSLIM PATR...BHAYEE MERE AZAMGARH ME YAHEE BAT GAIR MUSLIM PATRAKARON KE SAATH HUYEE.hamlavar musalman the.aur jo jehadee khud ko shan se jehadee kah rahe the unhe vah muslim bheed bhole bhale bachche kah rahee thee.<BR/><BR/>main har hinsa ko asahneeya manta hoon par dono aankhon se dekhna chahta hoon,bina kisi chasme ke aur jo chasmevale hain unka chasma hatana chahta hoon.<BR/><BR/>desh gahre aur khatarnak vibhajan ka shikar ho raha hai.dikhayen vibhajan kya hai aur kaisa hai.baant kaun raha hai aur kyon.BHEED CHAHE HINDU KI HO YA MUSALMAN KEE BHEED HOTEE HAI AUR USKA BHEED TANTRA HOTA HAI.ANDHA AUR KUTSIT.RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-37311365334326288462008-10-10T21:09:00.000-07:002008-10-10T21:09:00.000-07:00Dr.amar jyoti ji,fasiston ko aap sahee dekh rahe h...Dr.amar jyoti ji,<BR/><BR/>fasiston ko aap sahee dekh rahe hain .doosaree aankh bhee kholiye jehadee aur goree gaznee bhee dikhayee denge.bharat iske pare hai lahoo luhan.'YE KISKA LAHOO HAI KAUN MARA' <BR/><BR/>AAP AAYINAA HAIN ULTA HEE DIKHA SAKTE HAIN,MULK KO DIL SE JARA SACH BHEE BATATE CHALIYE !RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-4168379825445666002008-10-10T20:59:00.000-07:002008-10-10T20:59:00.000-07:00हमारा सबसे बड़ा क़ुसूर यही है कि हम मुसलमान हैं...ल...हमारा सबसे बड़ा क़ुसूर यही है कि हम मुसलमान हैं...लेकिन कुछ तो बात है कि आज हुसैन का इस्लाम दुनिया भर में परचम लहरा रहा है...हमें इस बात पर नाज़ है कि हम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम के उम्मती हैं और उस इस्लाम को मानने वाले हैं जिसके लिए हुसैन ने सजदे में अपना सर कटा लिया था...मायूस होने कि ज़रूरत नहीं...दुनिया में इंसानियत अभी क़ायम है...मुल्क के मुट्ठी भर लोग ही ऐसे हैं...जो मुसलमानों से हर वक़्त दुश्मनी निकालते रहते हैं...दरअसल आज सेकुलर सियासी पार्टियों और दूसरे संगठनों को मिलकर अल्पसंख्यकों पर होने वाले ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी होगी...दुःख और अफ़सोस की बात तो यह है कि अपने ज़ाति फ़ायदे के लिए कुछ अपने ही लोग अपने भाइयों का गला काट रहे हैं और मुसलमानों के कातिलों के जूतों में पानी पी रहे हैं... खैर...इन लोगों पर 'फ़ातिहा' पढ़ना ही बेहतर है...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160962348120610479.post-29668464484370657442008-10-10T19:22:00.000-07:002008-10-10T19:22:00.000-07:00फ़ासिस्ट गिरोहों से और क्या उम्मीद की जा सकती है। व...फ़ासिस्ट गिरोहों से और क्या उम्मीद की जा सकती है। वे सिर्फ़ वही सुनेंगे जो सुनना चाहते हैं। पुलिस ने आपको बचाया ये तारीफ़ की बात है और ताज्जुब की भी। वरना आजकल तो कई बार पुलिस भी दर्शक बनी रहती है।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.com